पुज्य गुरुदेव जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म.सा. के स्मरण मात्र से समस्याओं का अंत हो जाता है

जावरा ( अभय सुराणा)। संत का अपना एक प्रभाव होता है जिसके प्रभाव से जनमानस मै एक अलग ही श्रद्धा भाव की दृष्टि होती है वो संत व्यक्ति विशेष का ना होकर जन जन का होता है जिसे लोग देवता तुल्य मानते हुए उनका प्रतिदिन स्मरण करतें हुए उनके बताये मार्ग पर चलकर अपनें एवं दूसरों के जीवन कि दिशा बदलने का प्रयास करते हैं ऐसे संत जो जैन धर्म के होते हुए भी जन जन कि आस्था के केंद्र रहें ऐसे महान बिरले संत पुज्य गुरुदेव जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म सा के स्मरण मात्र आधी वाधी रोग कष्ट दुर हो जाते हैं ऐसे महान गुरुदेव के जाप पूज्यनीय गुरुदेव मुनिंद जैन दिवाकर करो आनंद के जाप एवं जैन दिवाकर चालीसा का पाठ सामुहिक रुप से जैन दिवाकर भवन पर विनोद कुमार अजीत कुमार रांका परिवार के सहयोग से संपन्न किए गए। उक्त जानकारी देते हुए श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के कोषाध्यक्ष महावीर छाजेड एवं संघ के मंत्री आकाश जैन ने बताया कि जाप प्रतिमाह कि शुक्ल पक्ष की तेरस को आयोजित किये जाते हैं।
जाप की प्रभावना संदीप रांका द्वारा वितरित कि गई। उक्त जाप में ओमप्रकाश श्री माल, पुखराज कोचच्टा, सुशील चपडोद के साथ ही संघ के वरिष्ठ मनोहरलाल चपडोद, सुजानमल कोचच्टा, अजीत कुमार रांका, माणकलाल भटेवरा, शांतीलाल डांगी, धर्मचंद श्री श्रीमाल, सुशील मेहता, मोहनलाल पोखरना, धनसुख चोरडिय़ा, मनोज डांगी,श्री पाल कोचच्टा, मोतीलाल मांडोत, अभय सुराणा, नरेन्द्र रांका, अशोक रांका, अभय मडंलेचा, बाबुलाल भटेवरा, फतेहलाल चोरडिय़ा, महेन्द्र कोचच्टा, पुखराज भंडारी, विजय कोचच्टा, पारसमल जी, जतिन कोचच्टा, अनिल दुग्गड, संजय झामर, संजय सुराणा, राकेश कोचच्टा, महेन्द्र रांका, विनोद चपडोद, राहुल रांका, सारंग रांका, दिलीप झामर, आदि श्रावक श्रावीका आदी उपस्थित थे। अंत में मंगलाचरण के साथ जाप का समापन हुआ।