आज के परिवेश में आद्य जगद्गुरू शंकराचार्य जी का अनुसरण नितांत आवश्यक है – श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी देवस्वरूप जी महाराज

रतलाम । आज के परिवेश में आद्य जगद्गुरू शंकराचार्य जी का अनुसरण नितांत आवश्यक है। उक्त विचार अखंड ज्ञान आश्रम के श्री श्री 1008 स्वामी देवस्वरूप जी ने श्री सनातन धर्म सभा एवं महारुद्र समिति एवं सर्व ब्राह्मण समाज रतलाम के द्वारा आयोजित आद्य जगद्गुरू शंकराचार्य जन्मोत्सव कार्यक्रम में रखें, स्वामी जी ने कहा कि जब सनातन धर्म अन्य मत संप्रदायों के हमलों के कारण विलुप्त होने की कगार पर था तब जगद्गुरू ने ही सनातन धर्म को पुनर्जीवित किया था आज के दौर में भी सनातन धर्म पर विभिन्न तरीकों एवं षडयंत्रों द्वारा कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है ऐसी परिस्थितियों में हमें भी उन षडयंत्रों को समझना चाहिए और उनसे निपटने के लिए जगद्गुरू के विचारों को समझ कर उनका अनुसरण कर सनातन धर्म को सशक्त बनाना चाहिए।
वैदिक जागृति ज्ञान विज्ञान पीठ के पंडित संजय शिवशंकर दवे ने कहा कि जगद्गुरू ने मनुष्यों के अज्ञान को नष्ट करने के लिए चार मठो एवं दशनामी संप्रदायों की स्थापना की।
स्वागत भाषण देते हुए अनिल झालानी ने जगद्गुरू के जीवन पर प्रकाश डाला। संचालन बृजेंद्र मेहता ने किया एवं आभार प्रदर्शन करते हुए पुष्पेन्द्र जोशी ने कहा कि कम से कम हम अपने परिवार में हमारी सनातन संस्कृति को बनाए रखें और अन्य संस्कृति को अपने घर में न आने दें। जगद्गुरू का पूजन व अभिषेक पं. प्रवीण रावल व पं. संजय गामोठ ने कराया।
कार्यक्रम में पंडित रामचन्द्र शर्मा, लालचंद टांक, नवनीत सोनी, डॉ राजेंद्र शर्मा, मुन्नलाल शर्मा, नरेन्द्र जोशी, प्रवीण उपाध्याय, चेतन शर्मा, शैलेन्द्र तिवारी, रमेश व्यास, महेश जोशी, नर्मदा शंकर भट्ट,महेंद्र जायसवाल, कृष्णगोपाल आचार्य, डॉ आई पी त्रिवेदी, डॉ कमल तिवारी, रमेश पाठक, जगदीश उपाध्याय, आनंद व्यास, रविन्द्र जागेटिया,लक्ष्मण पाठक, जितेंद्र भट्ट, सुरेश जोशी, कपूर सोनी, प्रकाश लोखंडे, सतीश राठौड़, श्रीमती तारा सोनी, राखी व्यास, उर्मिला जोशी, हेमा निरंजनी,भावना जोशी, सहित बढ़ी संख्या में सनातन समाज के लोग उपस्थित थे।