- शनिवार सुबह रजत ताला खोलकर होगा द्वारोद्घाटन
- 11 दिवसीय महोत्सव में देशभर से पहुँचे साधार्मिक




रतलाम 9 मई 2025 । 175 वर्ष के बाद आख़िरकार वह मंगल प्रभात आ ही गई जब सागोद तीर्थ में मूलनायक प्रथम तीर्थंकर दादा आदिनाथ जीर्णोद्धार पश्चात नवनिर्मित जिनालय में प्रतिष्ठित हुए। जिनालय के शिखर पर ध्वजादंड, कलश प्रतिष्ठा, ध्वजारोहण सहित अन्य विधान पूरे होते ही जयकारे, घंटनाद और ढोल-नगाड़े से तीर्थ परिसर गूंज उठा ।बंधु बेलड़ी आचार्य श्री प्रतिष्ठाचार्य जिन-हेमचन्द्रसागर सूरीश्वर जी म.सा. की मुख्य निश्रा में सागोद तीर्थ का अंजन शलाका प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतिम सौपन पर शनिवार प्रात: रजत ताला खोलकर देरासर का द्वार उद्घाटन होगा।
श्री वीसा पोरवाल जैन श्वेताम्बर तीर्थ ट्रस्ट सागोदिया ट्रस्ट द्वारा आयोजित महोत्सव में प्रतिष्ठाचार्य बंधु बेलड़ी आचार्य श्री, आचार्य श्री प्रसन्नचन्द्रसागर सूरिजी म.सा, आचार्य श्री विरागचन्द्रसागर सूरिजी म.सा, आचार्य श्री पदमचन्द्रसागर सूरिजी म.सा. एवं आचार्य श्री आनंदचन्द्रसागर सूरिजी साध्वी श्री सौम्ययशाश्रीजी म.सा,आदि ठाणा की निश्रा रही। प्रतिष्ठा समारोह के स्वागत अध्यक्ष – केबिनेट मंत्री चेतन्य काश्यप का गरिमापूर्ण आतिथ्ग्य रहा।
भक्तिभाव के साथ विधि पूर्ण
नूतन देरासर में मध्य रात्रि में बंधु बेलड़ी आचार्य श्री द्वारा परमात्मा के अंजन शलाका का विधान के पश्चात शुक्रवार सुबह मंगल मुहूर्त में मूलनायक प्रथम तीर्थंकर दादा आदिनाथ की प्रतिष्ठा की गई। तीर्थ मूलनायक प्रतिष्ठा के लाभार्थी निलेश (राहुल) – नीलिमा, अनुष्का-यश पोरवाल परिवार,रतलाम द्वारा सम्पूर्ण विधि भक्तिभाव के साथ पूर्ण की गई। इसी तरह परमात्मा का निर्वाण कल्याणक के साथ ही जिनालय के शिखर पर ध्वजादंड, कलश प्रतिष्ठा,ध्वजारोहण, तोरण,श्री अष्टोत्तरी शांति स्नात्र महापूजन सहित अन्य विधान लाभार्थी परिवारों द्वारा किये गये। कार्यक्रम में रतलाम में विभिन्न श्रीसंघों के प्रतिनिधि एवं गुजरात, राजस्थान एवं महाराष्ट्र से आये साधार्मिक उपस्थित रहे। विराजित समस्त आचार्यश्री को काम्बली लाभार्थी स्व. शांतिलाल स्व. केशरबाई काकडीवाला परिवार ने भेंट की।
नये स्वरूप में विस्तारित होगा – आचार्य श्री
यंहा व्याख्यान में तीर्थ जीर्णोद्धार मार्गदर्शक आचार्य श्री प्रसन्नचन्द्रसागर सूरिजी म.सा. ने कहा कि श्री वीसा पोरवाल समाज के लिए आज गौरव का प्रसंग है। जिनालय में दादा विराजे और शिखर पर ध्वजा लहराई है। सम्पूर्ण तीर्थ के विकास में महोत्सव स्वागत अध्यक्ष केबिनेट मंत्री चेतन्य काश्यप के प्रमुख सहयोग के साथ समाज और ट्रस्ट की सक्रिय सहभागिता से यह मंगल दिवस आया है। अब भविष्य में यह तीर्थ विभिन्न सेवा प्रकल्प के साथ नये स्वरूप में विस्तारित होगा।
तीर्थ सर्वसमाज मंगल – कल्याण के लिए – श्री काश्यप
इस अवसर पर स्वागत अध्यक्ष मंत्री श्री काश्यप ने स्वागत उदबोधन में कहा कि किसी भी तीर्थ मन्दिर की प्रतिष्ठा एक समाज विशेष अथवा नगर विशेष के लिए नहीं होती है। हमारे मन्दिर और शिल्प सर्वसमाज के मंगल और कल्याण के लिए होता है। तीर्थो की स्थापना सिर्फ दर्शनीय स्थल के रूप में नहीं बल्कि आत्म कल्याण के लिए होती है। प्रतिष्ठा महोत्सव में हमें पांच पांच आचार्यश्री की निश्रा मिलने से समाज में नवउत्साह और जाग्रति का संचार हुआ है। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन में प्रतिमा भावना के प्रतीक के रूप में होती है। प्रतिष्ठा के बाद वे ही मूलनायक हमारे महानायक होते है। आचार्य श्री प्रसन्नचन्द्रसागर सूरिजी म.सा. के सतत मार्गदर्शन और सतत प्रयासों से प्रतिष्ठा महोत्सव ने मूर्तरूप लिया है। जिसके लिए वीसा पोरवाल समाज हमेशा अनुग्रहित रहेगा। यह प्राचीन तीर्थ अब अपने नये शिल्प के साथ दिव्यता – भव्यता के लिए विशिष्ट पहचान बनायेगा। उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठा महोत्सव की शुरुआत ऐतिहासिक रथ यात्रा से हुई, जिससे संपूर्ण रतलाम शहर में वीसा पोरवाल समाज का प्रभाव स्थापित हुआ है l उन्होंने रथ यात्रा के लाभार्थी वरदीचंदजी पोरवाल परिवार के वरुण पोरवाल एवं युवाओं को भविष्य आयोजनों में भी आगे लाने हेतु समाजजन को कहा l
प्रतिरक्षा के लिए सभी एकजुट रहे
आपने कहा कि पहलगाम की अतिनिन्दीय आंतकी हमले के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अभूतपूर्व साहस दिखाते हुए भारत का शौर्य बढ़ाया है। उन्होंने आज विश्व को यह संदेश दिया है कि हम अहिंसा के उपासक है लेकिन प्रतिरक्षा के लिए देशहित में हम शौर्य और पराक्रम को भी आगे बढ़ाएंगे। यही प्रेरणा हमारा धर्म दर्शन भी देता है कि जब जब समाज,देश और धर्म पर विपत्ति हो तब सम्पूर्ण समाज को एक साथ खड़ा होना चाहिए।कार्यकम में वरिष्ठ सदस्य सुरेन्द्र पोरवाल, वीरेंद्र पोरवाल, डॉ.अजय जैन, राजकुमार जैन, मणिलाल पोरवाल, अचलचंद देवसूरीवाला,ट्रस्ट मंडल अध्यक्ष निलेश पोरवाल, सचिव दिलेश पोरवाल,कोषाध्यक्ष नरेंद्र काकडीवाला, मंगल जगावत एवं वरुण पोरवाल मंचासीन रहे। जिन्होंने श्री काश्यप का शाल श्रीफल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर बहुमान किया । संचालन प्रदीप डांगी एवं गणतन्त्र मेहता ने किया।