श्रमण संस्कृति के सूर्य आदित्य सागर जी

आज पट्टाचार्य पूज्य विशुद्ध सागरजी महाराज के प्रियाग्र शिष्य श्रुत संवेगी मुनी एवं मोटिवेशनल स्पीकर आदित्य सागर जी महाराज का आज अवतरण दिवस है। 24 मई 1986 को जबलपुर में जन्मे सन्मती भैया को 25 वर्ष की युवावस्था में ब्रह्मचारी के रूप में रहते हुए जब अपने तन पर पहने हुए कपड़े बोझ लगने लगे तो उन्होंने आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज से 8 नवंबर 2011 को सागर में निर्ग्रंथ दिगंबर मुनी दीक्षा धारण कर जैनागम, धर्म, दर्शन, नीति और आध्यात्म का गहन अध्ययन, मनन एवं चिंतन करते हुए 16 विविध भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया,कई ग्रंथों की रचना की और अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से जैन धर्म को गौरवान्वित किया। आज आप देश भर में प्रखर प्रवचनकार एवं मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में चर्चित जैन संत हैं।
ऐसे बहु भाषाविद वात्सल्य मूर्ति एवं उत्कृष्ट क्षयोपषम धारी श्रमण संस्कृति के सूर्यमुनि आदित्य सागर जी महाराज को अवतरण दिवस पर कोटिश: नमन
डॉक्टर जैनेंद्र जैन राजेश जैन दद्दू

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *