गुरु जगाते है, गुरु याद दिलाते है, गुरु संभालते है और गुरु मंजिल तक पहुंचाते है – पूज्या श्री अर्पिताश्री जी मसा

राजदंड और समाजदंड भोगना पड़े एसा झूठ मत बोलो । पाप का पैसा या तो डॉक्टर ले जाएगा, या डाकू ले जाएगा -पुजया श्री रत्नप्रभाजी मसा
रविवार को होगी लोगस्स के महामंगलकारी ध्यानसाधना ।

रतलाम । जैसे माँ हमे नींद से जगाती है, वैसे ही गुरु हमे अनंता अनंत काल की मोह निद्रा से जगाने का कार्य करते है । माँ का जगाना द्रव्य रूप है जबकी गुरु हमे भाव रूप से जगाते है । जैसे माँ हमे नींद से जगाकर याद दिलाती है की बेटा उठ तैयार होना है स्कूल जाना है वैसे ही गुरु हमें ज्ञान ध्यान सीखाते है, वो समझाते है की यंही का यंही नहीं रहना है, आगे बढऩा है । दस साल पहले हम 10000 रुपए कमाते थे, अब लाख कमाते है, मतलबअर्थ के क्षेत्र मे तो अभिवृद्धि कर ली, लेकिन दस साल पहले भी सामयिक सीखने का प्रयास करते थे, आज भी सामयिक सीखने का प्रयास कर रहे है ।
गुरुदेव हमे संभालते भी है। जब जब हम धर्म के रास्ते से भटकते है, तब तब हमे गुरु संभालते है । गुरु अंगुली पकड़ कर मंजिल तक पंहुचाने का सामर्थ्य भी रखते है ।
तीन सूत्र : शब्दों मे साफ्टनेस रखो, नरम सोफा, नरम गादी, नरम रोटी हमे पसंद है, वैसे ही अगर शब्द नरम हो तो व्यक्ति लोकप्रिय बन सकता है ।
हम घर के बाहर दुकान पर, आफिस मे फैमेली डॉक्टर से तो नरम बोलते है लेकिन घर पर घर के सदस्यो से कर्कश कड़वा बोलते है ।
व्यवहार मे स्वीटनेस होना चाहिए : आपकी अनुपस्थिति मे भी लोग आपको अच्छे मन से याद करे तो ये आपका व्यवहार के कारण होता है ।
स्वंय का परीक्षण करना हो तो देखो की घरवाले सुबह आपके घर से बाहर जाते वक्त बार बार घड़ी देखते है या घर लौटने के वक्त बार बार घड़ी देखते है, जाते वक्त बार बार घड़ी देखते है मतलब वो चाहते है आप जल्दी से जल्दी घर से जाए तो घर मे शांति हो, और आते वक्त घड़ी देखे मतलब वो चाहते है आप जल्दी घर आओ ताकि परिवार मे खुशियाँ आ सके ।
नियम मे स्ट्रांगनेस होना चाहिए : कोई भी नियम प्रत्याखन लेने के पहले अच्छी तरह सोचना चाहिए, और एक बार जो नियम ले लिया फिर उसका दृढ़ता पूर्वक पालन करना चाहिए, नियम में शिथिलता नहीं करना चाहिए, नियम लेकर भूलना नहीं चाहिए, जरूरी नहीं की बड़े बड़े और कठिन नियम ग्रहण करो, भले ही छोटे छोटे नियम लो लेकिन जो भी नियम को उसका कड़ाई से पालन करो, इससे आप अपना जीवन अच्छा और सच्चा बना सकते है ।
पहले के जमाने में सोने के लिए गादी बिछोना बिछाते थे और सो कर उठने पर उस बिस्तर को घड़ी करके एक तरफ रख देते थे, दिन भर गादी बिछा रहना शुभ नहीं माना जाता था, आजकल तो बेडरूम हो गए है, जिसमे बेड पर हमेशा गादी बिछी हुई रहती है, सुबह, दोपहर, दिन, शाम जब मन करे तो सो जाते है, पहले संत सतियों के दर्शन करने जाते थे तो ठहरने खाने पीने की व्यवस्था की चिंता नहीं रहती थी, नहाने को बाथरूम नहीं मिलती तो उस दिन स्नान के त्याग का प्रत्याखन ले लेते थे, लेकिन आजकल तो पँहुचने के पहले ही सब ठोक बजाकर जानकारी जूटा लेते है, की सुविधा कैसी है, रूम्स, भोजन बराबर है या नहीं, व्यक्ति बहुत सुविधा भोगी हो गया है । यह प्रवचन पुज्या श्री अर्पिता श्रीजी मसा ने फरमाए ।
पूज्य श्री रत्नप्रभा जी मसा ने आगार धर्म के अंतर्गत श्रावक के 12 व्रतों में दूसरे अनुव्रत स्थूल झूठ के त्याग के बारे मे बताया की एसा झूठ मत बोलो जिसमे राज दंड का भोगना पड़े । एसा झूठ भी मत बोलो जिसमे समाज दंड भोगना पड़े, कभी भी झूठी गवाही मत दो, किसी का अनर्थ हो एसा झूठ मत बोलो, किसी की धरोहर दबा कर झूठ मत बोलो, पाप का पैसा या तो डॉक्टर ले जाएगा, या डाकू ले जाएगा, सास बहू के गहने रख ले, या बहू सास के गहने रख ले और वापस न करे और ये भी अमानत मे खयानत है ।
माँ का बेटी के प्रति प्रेम होता है, पति की जेब मे से पैसे निकाल निकाल कर बेटी हो भेँट दे दे, या पत्नि पति की जेब में से पैसे निकाल निकाल कर एकत्रित करती रहे और जब पीहर जाये तो वहा से गहने, कपड़े, आवश्यक सामान लेकर ससुराल आए फिर बोले की यह मम्मी ने दिया, पापा ने दिया, भाई ने, काका, काकी भुआ ने दिया इस तरह की बाते कई घरो मे होती है, यह घर ग्रहस्थी को चलाने के लिए एसे झूठ है जिससे किसी का नुकसान नहीं हो रहा है और घर की चीज घर मे आ रही है तो यह भी व्यवहारिक श्रेणी मे आटे मे नमक बराबर झूठ है । समाज मे विघटन हो झगड़े हो एसा झूठ मत बोलो ।
तिसरा अनुव्रत : अद्त्तादान-चोरी का त्याग : सेंध लगाकर चोरी नहीं करना, किसी दुसरे का ताला नहीं तोडना, जेब कतरी नहीं करना ।
चोथा अनुव्रत : पर स्त्री गमन या पर पुरुष गमन का त्याग :
ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर सके तो पुरुषों को परस्त्री गमन और महिलाओं को पर पुरुष गमन नहीं करना ।