प्रार्थना मोक्ष मार्ग पर जाने के लिए स्पेशल ट्रेन है, प्रार्थना पापों को धोने की वाशिंग मशीन है- बाल ब्रम्हचारी मालवकिर्ती पू.श्री किर्तीसुधाजी म.सा

रतलाम। जिनशासन प्रभाविका, ज्ञानगंगोत्री, मेवाड़ सौरभ उपप्रवर्तिनी बाल ब्रम्हचारी मालवकिर्ती पू.श्री किर्तीसुधाजी म.सा ने नीमचौक स्थित स्थानक में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जैसे शरीर के लिये व्यायाम आवश्यक है व्यायाम से शरीर के गंदे तत्व पसीने के रूप में शरीर से बाहर हो जाते है वैसे ही ये जो हमारी अनादिकाल से मलीन हो रही आत्मा है, उसकी मलिनता प्रार्थना से दूर हो सकती है ।
प्रार्थना मोक्ष मार्ग पर जाने के लिए स्पेशल ट्रेन है, प्रार्थना पापों को धोने की वाशिंग मशीन है।
आज हर संसारी प्राणी भय में जी रहा है, कुछ भय तो काल्पनिक होते है जैसे जैसे लड़का शादी के बाद अलग तो नही हो जाएगा, बेटी शादी के बाद ससुराल में दुखी तो नही होगी, छोटी सी गठान हो जाए तो कैंसर का भय हो जाता है, ऑपरेशन के लिये जाना पड़े तो ये भय की वापस जिंदा लौटूंगा या नही।
प्रार्थना इन सब भय को दूर करने वाली अचूक दवा है। वर्षों हो गए हमें सामायिक करते करते माला गिनते गिनते, लेकिन आज तक कभी प्रार्थना का आनन्द आया, क्योंकि आपकी प्रार्थना में श्रद्धा का अभाव है, सच्चे दिल से पुकारो तो प्रभु जरूर सुनता है ऐसी कौन सी जगह है जँहा प्रभु की करुणा न हो ।
सावन और भादौं के मेघ घनगोर बरस रहे तो कितना भी बड़ा बर्तन रख दो वो भर जाएगा लेकिन बर्तन उल्टा रख दो तो वो नही भरेगा, वैसे ही प्रभु की घनघोर कृपा बरस रही है लेकिन ह्दय का पात्र अगर सीधा नही है तो कृपा मिलने वाली नही है।
हम रोज प्रार्थना करते है लेकिन कभी टाइम नही मिलता है तो उस दिन छोड़ देते है । हम रोज भोजन करते है और टाइम न मिले और भोजन नही कर पाए तो चेहरा भूख के मारे मुर्झा जाता है, वैसे ही प्रार्थना के बिना आत्मा मुर्झा जाती है।
मीरा कितनी मगन होकर प्रार्थना करती थी, कोई उसके बारे में क्या बोल रहा है क्या सोच रहा है उन्हें उसकी कोई परवाह नही थी, द्रोपती ने सच्चे मन से श्रीकृष्ण को याद किया तो दु:शासन सादर उतारते उतारते थक गया आपको तो आज तक एक रुमाल बराबर कपड़ा भी नही मिल पाया।
भक्ति ऐसी करो की साढ़े तीन करोड़ रोम रोम भक्ति में डूब जाए । मानतुंगाचार्य ने अपनी भक्ति की शक्ति से 48 ताले तोड़ दिए कारागार में उन्होंने सच्चे मन से प्रभु का स्मरण किया और भक्ताम्बर की 48 गाथाओं को लिख दिया और जैसे जैसे वो गाथा लिखते गए वैसे वैसे ताले टुटते गए ।
लेकिन आप ये सब सुन कर अभी तक जो प्रार्थना कर रहे हो वो छोड़ मत देना की मन से तो प्रार्थना होती नही फिर क्या लाभ ऐसी प्रार्थना करने का ।
बच्चा भी गिरते गिरते चलना सीखता है, सायकल सीखने से पहले कई बार गिरते है, डूबने के डर से तैरना सीखना नही छोड़ देते है। जब तक धनुष पर बाण नही चढ़ाओगे तब तक बाण नही छोड़ सकते हो।
सामायिक करने 10 मन के 10 वचन के और 12 काया के दोष से बच सकते है। अब भले ही मन न लगे लेकिन 10 वचन के और 12 काया के दोष से तो हम बच ही सकते है और कभी न कभी हम अभ्यास के द्वारा मन को भी काबू में कर लेंगे।
गाय जंगल में चरने जाती है और शाम को जब लौटती है उस वक्त गाय का बछड़ा कैसे अपनी मां से मिलने के लिए उछल कूद करता है रम्भाता है गाय भी अपने बच्चे से मिलने के लिये आतुर होती है, उस समय जो आनन्द बछड़े को आता है वैसा आनन्द भक्ति के वक्त महसूस करो।
एक फकीर को सड़क पर चलते हुए बड़ा खिला पाँव में धँस गया, खून की धार बहने लगी दर्द बहुत तेज था वो सहन नही कर पा रहा था उस वक्त डाक्टर आया एयर बोला ये खिला निकाल देता हूँ मरहम पट्टी टाँके कर देता हूँ फकीर बोला नही दर्द बहुत हो रहा है में अभी बर्ददास्त नही कर पाऊंगा। दोपहर में 1 बजे तुम के खिला निकाल देना डाक्टर को आश्चर्य हुआ की ये क्या बात हुई।
1 बजे डाक्टर फिर आया और उसनें उस फकीर के पाँव में से खिला निकाल दिया टाँके लगाकर मरहम पट्टी भी कर दी। फकीर उस वक्त नमाज पढ़ रहा था नमाज खत्म होने पर उसने डाक्टर से कहा की अरे अभी तक तुमने उपचार शुरू नही किया मैंने 1 बजे का बोला था, डाक्टर बोला की खिला निकल चुका है और आपको पता भी नही चला। वो फकीर अपनी नमाज में इतना रम गया था की वो दिन दुनिया और शरीर के दुख सुख से बेखबर हो गया था, ऐसे लीन होकर हमें भक्ति करना है प्रार्थना करना है।
पूज्या श्री आराधनाश्री जी ने अपने धर्म सन्देश में फरमाया की
एक बहुत बड़े सेठ के यँहा एक चौकीदार नौकरी करता था, सेठ को अगले दिन हवाई जहाज से बाहर जाना था, लेकिन चौकीदार सुबह सेठ को बोलता है आप आज मत जाओ, सेठ पूछता है क्यों न जाऊं तो चौकीदार बोलता है की रात में मैने एक बहुत खराब सपना देखा की जिस प्लेन में आप जा रहे हो वो 1 घण्टे बाद क्रेश हो गया और सारे यात्री मारे गए , मालिक कहता है सपने तो आते रहते है लेकिन जाना जरूरी है में तो जाऊंगा, चौकीदार जिद करता है और मालकिन को भी वो ही बात बताता है, मालकिन भयभीत हो जाती है और मालिक को रोक लेती है।
संयोग से वो प्लेन सच में क्रेश हो जाता है और सारे यात्री मारे जाते है । सेठानी सेठ से कहती है की इस चौकीदार की वजह से आप बच गए उसे इनाम दीजिये।
सेठजी ने उसे बुलाया और जान बचाने के लिये 10000 रुपए का इनाम दिया लेकिन साथ ही साथ उसे नौकरी से निकालने का आदेश भी दे दिया, चौकीदार ने कारण पूछा तो बताया गया की तुम्हारी नौकरी रात में जागकर चौकीदारी करने की थी लेकिन ड्यूटी के वक्त तुमने सपना देखा मतलब सो गए इसलिये तुम्हे नौकरी से बर्खास्त किया जाता है। इसी तरह हमें यह मानव भव अपनी चौकीदारी के लिये मिला है लेकिन हम किसकी चौकीदारी कर रहे है अपनी या दूसरों की हम स्वंय की तरफ नही देख रहे पूरी दुनिया को देख रहे है। दुनिया को देखते रहे तो भटकने का क्रम अनवरत चलता रहेगा।