धर्म एवं गौ सेवा के प्रति समर्पित राष्ट्रसंत

कमल मुनिजी का कहना हैं- धर्ममय जीवन हो।
दया नीतियुक्त,सबका मन पावन हो। धर्ममय……
कमल खिला नागोरी कुल का लाल।
मनोहर गुलाब सुत का चौड़ा है भाल।
राष्ट्र संत श्रमण संघ के सितारे हो। धर्ममय ……
प्रज्ञा जगाते, मुनि कमल बड़े ही उपकारी।
मानवता प्रेमी हैं,सर्वजन के हैं हितकारी।
प्राणीमात्र प्रेमी की सदा ही जय हो। धर्ममय……
जीवदया की भावना हो, अहिंसा का पालन हो।
तन – मन प्रेम से सत्य का परिचालन हो।
संकल्पबद्ध कर्म से, जीवन परिवर्तन हो। धर्ममय…..
अपने को बदलें, विश्वास सदा अटल हो।
अभ्यास,आत्म संयम, लगन अविचल हो।
सुसंस्कार,स्नेहभाव, जैसे गंगाजल हो।धर्ममय…..
साधक बनकर जीवन सार्थक कर सकते हैं।
गुरु कृपा? पाकर ही भवसागर तर सकते हैं।
नैतिक मूल्यों का जन जन में निर्माण हो।धर्ममय…..
भक्त गो माता के परम है उपासक।
जगह जगह गो शालाएं खुलवाएं ये हैं संरक्षक।
जेलों में ‘भलाÓÓ प्रवचन देते, जीवन सफल हो। धर्ममय…..
रचनाकार-डॉ भगवानलाल बंशीवाल (वीरवाल)
बागोल नाथद्वारा (राजस्थान)
मो.नं. 9549594648