




वाई (महाराष्ट्र)। परम पूज्य परोपकार सम्राट आचार्यदेव श्रीमद्विजय ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी महाराजा साहेब की प्रथम वार्षिक पुण्यतिथि त्रिदिवसीय जिनेन्द्र भक्ति महोत्सव को ज्येष्ठ वदि दसमी वाई श्रीसंघ में नम आंखों व भीने ह्रदय से शासन प्रभावक यशस्वी रुप में प्रवचनदक्ष मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी म.सा.मुनिश्री जनकचंद्र विजयजी मसा की पावन निश्रा में मनाया गया । सर्वप्रथम चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय से परोपकार सम्राट के चित्र को लेकर वरघोड़ा निकाला गया जो नगर में घूमते हुए गुरु मंदिर पहुंचा । वहां दर्शन वंदन कर जैन उपाश्रय भवन में धर्मसभा में परिवर्तित हुआ। आकर्षक मंच पर सुंदर सजावट के बीच परोपकार सम्राट के चित्र की स्थापना की गई। प्रथम मुनिद्वय ने परोपकार सम्राट को सकल श्री संघ के साथ बड़ी गुरु वंदना की। मंचासिन हुए मुनिद्वय को श्रीसंघ ने गुरु वंदना की पश्चात् मुनिराजश्री रजतचंद्र विजयजी ने मंगलाचरण फऱमाय ओर कहां मां,गुरु व प्रभु इन तीनों का उपकार जीवन में कभी भी नहीं चूका सकते हैं। मुनिश्री ने कहा गुरुदेव परोपकार सम्राट ने संघ समाज को जितना दिया है वह सदैव चिर स्मरणीय रहेगा, या यु कहो कि उन्होंने कई जीवन का योगदान इस एक जीवन में ही कर दिया है। गच्छ के संचालक की जिम्मेदारी या साधु साध्वी जी की सार-संभाल हो,मोहनखेड़ा तीर्थ विकास का कार्य हो, जीवदया-मानव सेवा का काम हो, राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र में विशिष्ठ शासन प्रभावना तथा मालवा को संभालने का काम हो अथवा अन्य कई तीर्थो की सुरक्षा सुविधा व्यवस्था का काम हो, परोपकार सम्राट गुरुदेव श्री ने बखूबी निभाया। हजारों लोगों के दु:ख का निवारण किया वे कहते थे अगर मैं इन को नहीं संभालूंगा तो यह विधर्मी के पास जाकर के धर्म से विचलित होंगे । उनके पास में पहुंचने वाले हर किसी इंसान का उन्होंने भला किया है । प्रतिदिन 12 से 14 घंटे तक संघ समाज कल्याण के लिए समय निकालते थे। 1 वर्ष पूर्व स्वर्गगमन के ठीक पहले 300 बेड का कोविड सेंटर हॉस्पिटल मोहनखेड़ा तीर्थ में बनाया था,यह उनकी रग रग में मानवता के प्रति समर्पण भाव था।
आज भी हजारों लोग उनको याद करते हैं । आज भी साधु साध्वी संघ समाज उनकी कमी को महसूस करते हैं। हर किसी का ख्याल रखने वाले *गुरुदेव श्री को उनके समाधि स्थल मोहनखेड़ा तीर्थ पर परोपकार सम्राट अलंकार से अभीमंडित किया गया।
मुनिश्री रजतचन्द्र विजयजी महाराज साहेब ने आगे कहा- गुरुदेव श्री ने दीक्षा देकर मेरे जीवन को संवारा, मुझे योग्य बनाया। यह मेरा सौभाग्य है कि अंतिम समय तक उनकी सेवा का अवसर मिला। उनके दिल में मेरे लिए अपार स्नेह था.. बोलते बोलते मुनिश्री की आंखों में आंसू आ गए। मेरे साथ मेरे गुरुदेव श्री का अटूट प्रेम रहा। मेरे प्रति वह बहुत चिंता फिक्र करते थे,मेरा बड़ा ख्याल रखते थे। जीवन के अंतिम स्वास तक गुरुदेव साथ रहेंगे। आज ऐसे उपकारी गुरुदेव को श्रद्धा से अनंत वंदना करता हूं और प्रार्थना करता हूं हम पर सदैव आशीर्वाद वर्षा करते रहे। मुनिश्री जनकचंद्र विजयजी ने कहा गुरुदेव के इतने सारे कार्य है उनकी गिनती करते करते पूरा इतिहास लिख जाए। मेरा कल्याण किया,सदैव उनके बताए मार्ग पर चलूंगा और समाज के लिए तथा अपने गुरु भाइयों के साथ में कंधे से कंधा मिला कर खड़ा रहूंगा।
गुरु भगवंत के उद्बोधन के पुर्व परोपकार सम्राट के चित्र पर पुणे से पधारे किशोरजी हिंगड़, महाड से पधारे प्रवीणजी कटारिया अशोकजी जैन निलेशओसवाल व आकुर्डी से पधारे श्रीसंघ ने तथा वाई श्रीसंघ के अध्यक्ष एवं प्रमुख महानुभाव ने धूप दीप माल्यार्पण किया। परोपकार सम्राट की सर्वप्रथम गहूंली का लाभ रतनलालजी हजारीमलजी नानेसा को मिला। वासक्षेप पूजा एवं पुष्पमाला अर्पण करने का लाभ किशोरजी अंचलजी हिंगड़ पूना को मिला। वाई श्रीसंघ पंडित से जयेशभाई,नरेशभाई,विक्रमभाई ने गुरुदेव श्री के बारे में सुंदर वक्तव्य दिया और उन्हें याद किया एवं श्रद्धांजलि अर्पित की । सूरत से पधारी रेखाबेन सीमावेन एवं रूपाली बने एवं अन्य बहनों ने गुरुदेव के लिए सुंदर गीत प्रस्तुत किया। महाराष्ट्र महाड (रायगढ़ जिले)से बड़ी संख्या में पधारे सकल संघ ने गुरुदेव से चातुर्मास की भावभरी पुरजोर विनंती कि इस पर पू.मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी महाराज साहेब ने स्वीकृति प्रदान की। स्वीकृति मिलते ही भक्ति भाव से झूमते हुए जयजय कारों के नारे लगाने लगे। अंत में वाई श्रीसंघ के अध्यक्ष हिराचंदजी एवं गुरु मंदिर के अध्यक्ष कांतिभाई ने सभी का आभार माना । वाई श्रीसंघ में परोपकार सम्राट गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमद्विजय ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी महाराजा साहेब का त्रिदिवसीय जिनेन्द्र भक्ति महोत्सव तप-जप महापूजन भक्ति भावना एवं आराधना के साथ मनाया गया । जिसमें वरघोड़ा संध्या भक्ति, सामुहिक सामाजिक,आयंबिल, पूजा- महापूजन, मुंबई से पधारे संगीतकार द्वारा भक्ति भावना आयोजन किये गये। मुनिश्री ने वाई श्रीसंघ के श्रद्धा भक्ति की खूब खूब अनुमोदना की एवं साधुवाद दिया । वाई श्रीसंघ ने आगामी प्रतिष्ठा महोत्सव में मुनि द्वय को पधारने की भावभरी विनंती कि।
मुनिश्री ने चिंतामणि पारसनाथ प्रभु के मंदिर का काम जल्दी से पूर्ण होकर 2023 में प्रतिष्ठा हो ऐसा श्री संघ को आशीर्वाद दिया। इस मौके पर भीनमाल मुंबई के मंगलजी सेठ यतिन्द्र जी एवं विपुल वाणीगोता पुना उपस्थित थे। वाई श्रीसंघ के मोहनलालजी, छगनलालजी, रतनचंदजी,अमृतलालजी एवं विहार ग्रुप की अमूल्य सेवाओं की मुनिश्री ने प्रशंसा की साधुवाद दिया।