फूलों के समान मन के भाव का होना मार्दव धर्म कहलाता है – परम तपस्वी गुरुदेव मुनि श्री 108 विशल्य सागर जी मुनिराज

दशलक्षण पर्यूषण महापर्व का दूसरा दिन उत्तम मार्दव धर्म के रूप में मनाया गया

झुमरीतिलैया (कोडरमा)। जैन धर्म का दशलक्षण पर्यूषण महापर्व का दूसरा दिन आज उत्तम मार्दव धर्म के रूप में मनाया गया, जैन महामुनी परम तपस्वी गुरुदेव मुनि श्री 108 विशल्य सागर जी मुनिराज ने अपनी अमृतवाणी में भक्तजनों को कहा कि फूलों के समान मन के भाव का होना मार्दव धर्म कहलाता है कोमलता हर जीव को पसंद है अत: मृदुभाषी बने आज मनुष्य अपने अहंकार के कारण ही दुखी है अगर मनुष्य अहंकार न करें तो उसका जीवन सरलता से प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा है,चित में मृदुता और व्यवहार में विनम्रता ही व्यक्ति को महान बनाती है जाति, कुल ,रूप, ज्ञान, वैभव आदि का गुणगान करना अहंकार है और इस पर जो विजय प्राप्त करता है वही मार्दव धर्म कहलाता है बहुत बलवान, गुणवान ,समर्थ वान होने पर भी यदि व्यक्ति में किंचित मात्र भी घमंड ना हो वहीं पर उत्तम मार्दव धर्म प्रकट होता है मनुष्य को धन संपदा ऐश्वर्या ही अहंकारी और अभिमानी बना देती है ऐसा व्यक्ति दूसरों को छोटा और अपने को सर्वोच्च मानता है मनुष्य को इन सभी नष्ट होने वाले चीजों को त्याग कर विनम्र भाव से पेश आना चाहिए सब जीवो के प्रति मैत्री भाव रखना चाहिए ,मार्दव धर्म हमें अपने आप ही सही वृत्ति को समझने का माध्यम है क्योंकि सभी को एक ना एक दिन जाना ही है इसलिए सरलता का भाव ही मार्दव धर्म है सुख-दुख सभी समय सरलता का भाव रखें समाज के मंत्री जैन ललित सेठी और चतुर्मास कमेटी के संयोजक जैन सुरेंद्र काला ने प्रतिदिन होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों की रूपरेखा भक्तजनों को बताया, अलका दीदी, आरती दीदी और पंडित अभिषेक शास्त्री के सानिध्य में पूजन विधान का कार्य संपन्न हो रहा है प्रात: 4:00 बजे से ही दोनों जैन मंदिरों में जैन समाज के सैकड़ों लोगों ने महिलाएं पुरुष बच्चों ने केसरिया और श्वेत वस्त्र पहन कर पूजन विधान पाठ प्रारंभ किया, गुरुदेव विशल्य सागर जी के मुखारविंद से लाखों मंत्रों के द्वारा विश्व शांति धारा का पाठ कराया गया बड़ा मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की प्रथम अभिषेक और शांति धारा करने का सौभाग्य जैन सुरेंद्र-सरिता, सौरव काला परिवार को मिला, मूल वेदी में शांति धारा एवं प्रथम अभिषेक का सौभाग्य जैन किशोरी लाल,विनोद,दिलीप ठोलिया परिवार को मिला नया मंदिर जी में शांति धारा एवं प्रथम अभिषेक का सौभाग्य मुरलीधर जुगल किशोर संदीप, संजय सेठी परिवार को मिला रात्रि में दोनों मंदिरों में भव्य आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा । यह सभी जानकारी जैन समाज के मीडिया प्रभारी जैन राजकुमार अजमेरा ओर नवीन जैन ने दी ।