शिक्षक सेवा से नहीं दायित्व से निवृत होता है

रतलाम । शासकीय शिक्षक अपने सेवाकाल के उपरांत दिए गए अपने दायित्वों से निवृत्त होता है अपनी सेवाओं से वह कभी निमृत नहीं होता क्योंकि उसका जो कर्म है केवल बच्चों को शिक्षा देना ही नहीं अपितु समाज और देश के लिए भी अपने आपको समर्पित करना होता है यही उसकी सच्ची और सार्थक सेवा कहलाती है । उक्त उद्गार शासकीय माध्यमिक विद्यालय जड़वासा कला में पदस्थ वरिष्ठ शिक्षक श्री सुल्तान सिंह चंद्रावत तथा प्रोन्नत विद्यालय में पदस्थ शिक्षिका श्रीमती तारा आर्य के सेवानिवृत्ति समारोह में शिक्षक सांस्कृतिक संगठन के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने व्यक्त किए । आपने कहा कि शिक्षक से समाज को काफी अपेक्षा होती है विद्यार्थी के साथ साथ पालक भी शिक्षक की गरिमा और उसकी सेवा से प्रभावित होते हैं अच्छी शिक्षा और अच्छी सेवाएं उन्हें समाज में सदैव सम्मान अर्जित करवाती है । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही नगरा हाई सेकेंडरी स्कूल की प्राचार्य श्रीमती जयश्री पालने कहा कि दोनों शिक्षक समय के पाबंद और निष्ठावान शिक्षक रहे हैं उनकी सेवाओं से विद्यार्थियों को काफी लाभ पहुंचा है वही विद्यालय की गुणवत्ता पूरे संकुल में व्याप्त है ।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में सरपंच श्री पाटीदार, उपसरपंच दिलीप पाटीदार सहित सत्यनारायण पाटीदार, मूलचंद पाटीदार, एवं  नरेंद्र पंड्या, अलका पोरवाल, दुर्गा मैडम, पूनम मैडम, श्रीमती ज्योति अमलियार, श्रीमती कोटिया मैडम, मुनव्वर मैडम, बन्ना साहब, कुशाल सिंह, बल्लू सिंह, अनीता मैडम, राजेश पुरोहित, सुरेश पाटीदार एवं गांव के गणमान्य जन उपस्थित थे । दोनों शिक्षक को शाल श्रीफल एवं अभिनंदन पत्र देकर सम्मानित किया गया कार्यक्रम का संचालन दिलीप वर्मा ने तथा आभार नरेंद्र पंड्या ने व्यक्त किया