धार्मिकता और कट्टरता में 36 का आंकड़ा होता है कट्टरता क्रूरता और हिंसा की जननी – राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । कट्टर सांप्रदायिकता की बेडि़ यो में कैद करके मानव मानव की बीच खाई पैदा करके मानवता के टुकड़े टुकड़े करने वाले परस्पर नफरत फैलाने वाले अलकायदा तालिबान से कम नहीं है चाहे वह संत भी क्यों न हो उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने मूर्तिपूजक वरिष्ठ संत सुविधि सागर जी से नेहरू पार्क महावीर भवन में परस्पर वार्तालाप के दौरान कहा कि धार्मिकता और कट्टरता में 36 का आंकड़ा होता है कट्टरता क्रूरता और हिंसा की जननी है । उन्होंने कहा कि विश्व का कोई भी धर्म कट्टरता अपनाने की इजाजत नहीं देता है । राष्ट्र संत ने बताया कि कट्टरता अपने आप में हिंसा है जिसके दिलों में कट्टरता के दुष्परिणाम से सद्भाव प्रेम और करुणा सभी गुण नष्ट हो जाते हैं । मुनि कमलेश ने कहा कि कट्टरता अपने आप में अधर्म पाप और पतन का कारण है इंसान को भी शैतान बना देती है । जैन संत ने स्पष्ट कहा कि देश में कितनी ही पंथ जाति और भाषा और परंपराएं है सभी कट्टरता का नारा देंगे तो देश के टुकड़े हो जाएंगे जब देश ही नहीं रहेगा पंथ और परंपराओं के अस्तित्व कहां से रहेंगे वही धर्म महान है जो राष्ट्रीय एकता की प्रेरणा देता है रक्षा की बात नहीं करता है कट्टरपंथी धर्म द्रोही भी है देशद्रोही भी है देश तिजोरी ही तो धर्म सोना है धर्म से बढ़कर राष्ट्र राष्ट्र रक्षा में ही धर्म रक्षा है सुविधि सागर जी ने कहा कि विश्व बंधुत्व की भावना जिसके जिलों में साकार होती है वही धर्म का प्रवेश द्वार है चर्चा में घनश्याम मुनि, अरिहंत मुनि, कौशल मुनि, अक्षत मुनि ने भी भाग लिया।