दुसरोँ मे अवगुण देखने वाला साधक नही हो सकता है – राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश

भीलवाड़ा ( सुनिल चपलोत अहिंसा भवन शास्त्रीनगर) । अहिंसा भवन मे सयुंक्त होली चातुर्मास पर आयोजित विशाल जन समूह मे श्रावक श्राविकाओं को सम्बोधित करतें हुयेराष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश ने कहां सच्चा साधक वही जो अपनी गलतियों की पर पश्चाताप करे और दुसरोँ मे अवगुण नही निकालने वाला पुरूष सच्चा साधक बन सकता है तथा मानव बनकर मानव से प्यार करने वाले व्यक्ति को परमात्मा का साक्षात्कार हो सकते है पर दिखावटी प्रदर्शन करने वाला व्यक्ति धनवान और बलवान क्यों न हो वह जीवन मे कभी सुख को प्राप्त नही कर सकता है। इसदौरान आचार्य सुर्दशनलाल महाराज ने कहा कि महापुरुषों की निंदा करने वाले व्यक्ति समाज का तो दुश्मन है ही उसे भगवान के वहा पर भी क्षमा और शरण नही मिल सकती है । क्योकि संत किसी व्यक्ति विषेश के नही होते है वह सबके होते है। मेवाड़ गौरव रविन्द्र मुनि ने कहा कि संत समाज कि धरोहर है । इनकी रक्षा करना संघ और समाज का धर्म ही नही कतृव्य है ।तभी जिनशासन कि रक्षा हो पायेगी। संत भव्य दर्शन,साध्वी विनयप्रभा ने विचार व्यक्त करतें हुयें कहा कि धर्म मे गतिरोध पैदा करने वाला व्यक्ति कभी किसी का सगा नही हो सकता है। अहिंसा भवन के संरक्षक हेमन्त आंचलिया अध्यक्ष अशोक पोखरना ने बताया जानकारी देते हुये बताया कि इसौरन विधायक विठ्ठल शंकर अवस्थी पूर्व विधायक विवेक धाकड़,पूर्व सभापति मंजु पोखरना, विजयनगर नगरपालिका चैयरमेन सचिन सांखला अखिल भारतीय नानक संम्रदाय के अध्यक्ष रमेश खिवेसरा,अनिल लोढ़ा,अशोक बापना,चैन्नाई संघ के जिनेन्द्र रांका शांति भवन के अध्यक्ष महेन्द्र छाजेड़ मंत्री राजेन्द्र सुराणा,बड़ामहुआ से बाबूलाल नगावत,कुशलसिंह बूलिया,हिम्मत बापना लक्ष्मणसिंह पौखरना,हरीश खटोड़,निहालसिंह लोढ़ा,धनराज मंडिया आदि सभी अतिथियों ने सभा मे विचार व्यक्त किये कार्यक्रम संचालन करते हुये सुशील चपलोत ने बताया कि त्रिवेणी संगम समारोह मे चैन्नाई मुम्बई बैगलोर गुलाबपुरा बिजयनगर,कवलियास, मसूदा ब्यावर ,पिसांगन लाडपुरा आदि क्षैत्रो के हजारों श्रावको की उपस्थिति मे आचार्य सुदर्शनलाल महाराज के अनेकों क्षेत्रो के श्री संघो ने चातुर्मास की विनतीया रखी जिसपर सुदर्शनलाल म.सा ने अपना वर्ष 2023 का बड़ामहुआ नंदन वन चातुर्मास घोषित किया और अहिंसा भवन पधारे संतो मे कमल मुनि कमलेश आचार्यसुदर्शनलाल रविन्द्र मुनि आदि ने होली का महामंगल पाठ दिया।