- 68 वें जन्म दिवस पर कोटिशः वंदन – अभिनंदन
- प्रस्तुति: विजय कुमार लोढ़ा निम्बाहेड़ा (बेंगलूरु)
- महासती जी का संक्षिप्त जीवन वृत
महासती श्री सत्य साधना जी का जन्म लोणार ( महाराष्ट्र ) में दिनांक 31 मार्च 1955 को माता सीता देवी जी भुरावत की कुक्षी से हुआ। पिता श्री कुंजी लाल जी भुरावत थे! बचपन से ही धर्म के प्रति अनुराग रहा वैराग्य भाव प्रस्फुटित हुआ । जालना में उपाध्याय श्री केवल मुनि जी म.सा का चातुर्मास था उनकी भी प्रेरणा रही ! वैराग्य काल में आगम का विशेष अध्ययन किया । संवत 2031 की कार्तिक शुक्ला सप्तमी तदानुसार 21 नवम्बर 1974 को राजस्थान के ब्यावर में जैन दिवाकर परम्परा के प्रवर्तक पूज्य श्री हिरालाल जी म.सा., तरुण तपस्वी श्री लाभ चंद जी म.सा सेवाभावी श्री दीप चंद जी म.सा ठा.3 एवम महासती श्री हगाम कुंवर जी , मालव सिंहनी महासती श्री कमला वती जी म.सा आदि महासती वृन्द के पावन सानिध्य में भागवती दीक्षा सम्पन हुई । यह समय था जैनाचार्य कविवर श्री खूब चंद जी म.सा के पावन जन्म शताब्दी के पावन प्रसंग का ! इस दिन सात मुमुक्षुओं की दीक्षा हुई थी उसमें महासती श्री सत्य साधना जीभी एक थे । उन 7 मुमुक्षुओं में दृढ़ संयमी , स्पष्ठ वक्ता श्री धर्म मुनि जी म.सा , उप प्रवर्तक श्री अरुण मुनि जी म.सा भी थे जिनकी उस दिन दीक्षा हुई थी!
अनुशासन एवम अध्ययन प्रिय महासती
संयम ग्रहण करने के बाद अपनी गुरुणी मैया के कठोर अनुशासन में रह कर ज्ञान – ध्यान सिरवा व प्रवचन देने का पूर्ण अभ्यास किया ।
आज भी आपके सानिध्य में रहने वाली सुशिष्याए पूर्ण अनुशासन में रहते हुए ज्ञान अर्जन करती रहती है । जैन दिवाकर गुरु की वांचना सम्पदा का प्रभाव व आपकी प्रेरणा कि सभी सुशिष्याए , सुन्दर शेली में आगम के अध्ययन युक्त मधुर गीतो के साथ प्रवचन देते हे!
प्रेम मय मधुर व्यहवार
आप जंहा भी चातुर्मास करते हे , संघ व्यवस्था के अनुरूप चातुर्मास कार्यक्रम का आयोजन करना , व संघ के सभी सदस्यो के साथ मधुर व्यहवार रखते हे ! आपके साथ में रहने वाले महासती के प्रति बहुत ही प्रेम व ममता मयी व्यहवार रखते है ।
आपकी कई गुरु बहिने हे उनसे आपके बहुत ही मधुर संबंध हे! आपकी लघु गुरु बहिन तप चक्रेश्वरी श्री अरुण प्रभा जी बरसो तक आपके सानिध्य में रही वह आपको गुरुणी रुप में मानती हे !
संस्थाओं की प्रेरणा
आपकी प्रेरणा से कइ जगह धार्मिक संस्थाओं का व स्थानको का निर्माण हुआ हे । जिसमें विशेष : आपकी सुशिष्या महासती श्री चरण प्रज्ञा जी जिनका राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में 87 दिवसीय किर्तिमान संथारे के साथ देवलोक गमन हुआ! आपकी प्रेरणा से जैन दिवाकर चरण प्रज्ञा संस्थान ( जैन दिवाकर धाम )का बहुत बड़े क्षेत्र में निर्माण हुआ है ।
गुरु – गुरुणी के प्रति अनन्य श्रद्धा
आपकी गुरुदेव जैन दिवाकर श्री चौथ मल जी म.सा. के प्रति अनन्य आस्था हे व जो भी कार्य करते हे उसके लिए गुरु कृपा ही मानते है । आपकी गुरुणी मैया श्री कमला वती जी म.सा. , उपाध्याय श्री केवल मुनि जी , उपाध्याय श्री मूल मुनि जी के प्रति पूर्ण समर्पण हे ।
आपकी संघ निष्ठा व समर्पण देख कर आपको उप प्रवर्तीनी पद प्रदान किया । सन 2021 में आपको महाराष्ट्र सौरभ की पदवी से अलंकृत किया गया व अभी 28 मार्च 2023 को आचार्य श्री आनन्द ऋषी जी म.सा के जन्मोत्सव पर पुरे पुणे संघ की तरफ से दत्त नगर पुणे संघ के प्रांगण में संघ द्वारा आपको शासन सौरभ की उपाधी से अलंकृत किया ।
संघ को सम्मान देना , गुरु का व परम्परा का सम्मान रखना यह विशेष गुण हे महासती जी में
आपका सन 2008 का चातुर्मास ब्यावर तय हुआ था पर जब आप भीलवाड़ा पधारे महासती श्री चरण प्रज्ञा जी का स्वास्थ अचानक बहुत खराब हो गया व उनको संथारा कराना पड़ा वह संथारा 87 दिन चला व महासती जी को चातुर्मास हेतु भीलवाड़ा ही रुकना पड़ा व एक एतिहासिक कार्यक्रम रहा उस समय आपने संघ व गुरु परम्परा दोनो का जिस प्रकार गौरव रखा वह आपके संघ प्रेम का आदर्श उदाहरण है । अभी सन 2022 में थेरगांव ( पूणे) में आपका यादगार चातुर्मास हुआ मुजे भी वहा जाने का बारबार मौका मिला संघ के व गुरु के प्रति निष्ठा देखने लायक थी! आपके 68 वें जन्म दिवस पर आपको कोटिशःवंदन – अभिनंदन करते हुए प्रभु व गुरुदेव से प्रार्थना करते है कि आप एसे ही जिन शासन की प्रभावना करते हुए गुरु नाम की यश – किर्ती फेलाते रहे !
विजय कुमार लोढ़ा निम्बाहेड़ा ( बेंगलुरु- पुणे)
उपाध्यक्ष : अ. भा. श्वे. स्था. जैन कांफ्रेस नइ दिल्ली ज्ञान प्रकाश योजना
मंत्री: श्री जैन दिवाकर साहित्य प्रकाशन समिती चितौड़गढ़( राज.)