निःस्वार्थ भाव से दिया दान कभी निश्फल नहीं जाता है-प्रवर्तक सुकनमुनिजी मसा

भीलवाड़ा (सुनिल चपलोत)। दान देने से बढ़ता है घटता नही अहिंसा भवन शास्त्रीनगर मे शनिवार को  धर्म चर्चा करते हुये श्रमणसंघिय प्रवर्तक सुकनमुनिजी मसा. ने कहां की निःस्वार्थ भाव से दिया गया दान ही सही मायनों दान कहलाता है तथा कभी व्यर्थ नहीं जा सकता है उसका फल निश्चित ही मिलता है तथा  दान देने से पुण्य के बंधन बांधकर जन्मजन्मांतर के बंधनो से मुक्त हो सकतें है  दिखावटी दान देनें वाले  कर्मो  के बंधन नहीं तोड़ पायेंगे तथा कर्म बंध और बांध सकते है दान में प्रदशर्न नहीं होना चाहिये। डॉ. वरूण मुनि ने.कहां की दान देने, कर्मो बंधन के  सुधर सकतें है। अहिंसा भवन के अध्यक्ष अशोक पोखरणा ने बताया की सोशल डिस्टेंस  साथ  श्रावक-श्राविकाएं  कोरोना महामारी खत्म  हो उसके लिये   सामायिक  के साथ दया करें।