जावरा (अभय सुराणा) । आचार्य श्री 108 प्रमूखसागरजी महाराज ने लाकडाऊन का पालन करते हुए प्रवचन नही दिए ओर रविवार को दिगम्बर मांगिलक भवन मैं बच्चो को पूजा का महत्व बताया ओर कहा की पूजा से पूज्जय प्राप्त होती है पूण्य कमाने के चार साघन है उसमे पहला भगवान की पूजा करना है । दूसरा साधन साधु को आहार देना है तीसरा साधन वर्त को लेना ओर चौथा साधन है उपवास करना है। आचार्य श्री ने कहा की पूजा से हमारे जीवन मै श्रेष्ठत्म उपलद्धियां प्राप्त होती है । धनंजय कवि जैन श्रावक थे उनके बेटे को सर्प ने डस लिया। सभी लोगो ने उन्हे भला-बूरा कहा तूम्हारे बेटे को सर्प ने डस लिया ओर तूम पूजा कर रहे हो । धनंजय ने पूजा नही छोडी ओर विस्पाहार स्तोत्र रच दिया । विस्पाहार स्तोत्र जेसे ही पूर्ण हूवा घनजंय कवी के बेटे का जहर उतर गया ओर वह फिर से जीवीत हो गया। आचार्य श्री ने बताया यह सब पूजा का महत्व है। हमै प्रतिदिन भगवान के गर्णावाद पूजा करना चाहिए। तभी अपना जीवन मंगलमय होगा। इस अवसर पर आचार्य श्री प्रमुख सागर युवा मंच के मयंक मदावत, समय कियावत, अमन पाटनी, गौतम विनायक, यश कियावत, महिम बरोड उपस्थित थे। साथ ही चंदन बाला मंडल के पूजा कियावत, आकांशा ओरा, महक कियावत, रिश्ता बरोड, नेतल लहड़िया, ईशिता कोठारी आदि उपस्थित थे। चातुर्मास समीती प्रवक्ता रितेश जैन ने जानकारी दी।