जावरा (अभय सुराणा)। पिपली बाजार राजेन्द्र उपाश्रय में प्रवचन देते हुवे मुनिराज श्री पुष्पेंद्र विजय जी मसा ने कहा कि बिन स्वप्न देखे सफर तय नही होता, ओर सफर को सफलता हमारे बुलंद इरादे ही करा सकते है। एक लव्य ने गुरु द्रोण से धनुष विद्या सीखने का स्वप्न देखा ओर आखिर उसने लगन थी तो वह पूर्ण हुआ। गुरु की मूर्ति बना कर भी अपने सपनो को पूर्ण किया। देश के आजादी के लिए महात्मा गांधी, ओर भगत सिंह ,सुभाषचंद्र बोस ने सपने देखे और पूर्ण हुवे। तो कुछ कर गुजरने के लिये स्वप्न देखना खूब जरूरी है ,भक्ति मार्ग भी वैसा ही है, बड़े बड़े महापुरुष जितने भी हुवे सबने ने कोई ना कोई ध्येय जरूर बनाया था और उसे उन्होंने हासिल किया।
धर्मसभा को संबोधित करते हुवे तपस्वी मुनिराज श्री जनकचंद्र विजय जी मसा ने कहा कि आदमी के भीतर जब मूर्छा जाग्रत हो जाती है तो वह मृत्यु के अंतिम चरण तक उसे छोडऩे का नाम नही लेता है। मूर्छा,मोह माया दुख का कारण है, प्रभु पाश्र्वनाथ भगवान के अठ्ठम तप प्रारम्भ हुवे इसमे काफी गुरु भक्त इस तप में अग्रसित हुए है। कॅरोना संकट से छुटकारे की भावना से आज शाखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान के तेले प्रारम्भ हुवे।