भीलवाड़ा (सुनील चपलोत)। आत्मा मरती नहीं शरीर नष्ट होता है । श्रमणसंघिय प्रवर्तक सुकनमुनि मसा ने अहिंसा भवन में बुधवार को धर्मचर्चा में श्रावको को सम्बोधित करते हुए कहां आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है, सांसों के आधार पर जीवन चल रहा है सांस आती है जाती परन्तु कब रूक जाए किसी को पता नहीं पर सांसों रूकना निश्चित है और मृत्यु भी एक कृष्ट की तरह है मरने वाला ही ईस कृष्ट को समझ सकता है । यह ही सत्य है- फिर भी इंसान अंजान होकर भुल जाता की शरीर नाश्वान है जिस दिन मानव को यह समझ आ गया तो इंसान की जीवन दिशा बदल सकतीं है वो जीनवाणी सुनने और मन करने पर जान पायेगा । डॉक्टर वरूण मुनि सूखविपाक सूत्र का वाचन करतें हूए कहां की जिस सूख को मनुष्य ढ़ुड रहा है वो स्वयं के पास है परन्तु वो वस्तुओं से सूख मिलने वाला नहीं है धर्म से जुड़कर ही सूख प्राप्त कर सकता है वस्तुओं से नहीं । अहिंसा भवन शास्त्रीनगर के संरक्षक हेमंत आंचलियाँ ने बताया की धर्मचर्चा पूवं प. युवा प्रणेता महेश मुनि, तपस्वी मुकेश मुनि मसा एवं प्रार्थनार्थी सचिन मुनि मसा ने प्रार्थना करवाई तथा सुकनमुनि मसा ने उपस्थित श्रद्धालुओं को महामंगलपाठ सुनाया।