जोधपुर । हजारों दुश्मनों को अकेले के द्वारा कदाचित जीतना संभव हो सकता है परंतु उसे कठिन है अपनी इंद्रियों पर विजय पाना इंद्रिय विजेता विश्व विजेता से बढ़कर है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने श्रीमती प्रसन्न कवर कुंभट को मृत्यु महोत्सव संथारा करवाते समय कहा कि शूरवीर और बहादुर ही मृत्यु को ललकारते हुए मृत्यु विजेता बनकर जन्म को सार्थक करते हैं उन्होंने कहा कि विश्व के सभी धर्मों ने पांच इंद्रियों पर विजय पाने का संदेश दिया है इंद्रियों का गुलाम रोगों का घर बनता है कर्मों का संचय करके आत्मा को दुर्गति प्रदान करता है।
मुनि कमलेश जी कहा कि इंद्रियों की आसक्ति ही हमारा खतरनाक शत्रु है अग्नि सांप शेर बाहरी शत्रु तो तन का नुकसान करते हैं परंतु क्रोध लोभ मोह अहंकार आत्मा का जन्म जन्मांतर तक अहित करते हैं।
जैन संत ने कहा कि इंद्रियों का गुलाम आध्यात्मिक साधना में आगे नहीं बढ़ सकता स्वच्छंद निरंकुश इंद्रियां आत्मा और तन दोनों का नुकसान करती है। राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि इंद्रियों की आसक्ति ने ब्लड प्रेशर हार्ड अटैक शुगर ब्रेन हेमरेज आदि जानलेवा बीमारियों को खुला निमंत्रण दिया है इंद्रियों पर ज्ञान और साधना का अंकुश अलौकिक चमत्कार प्रकट करते हैं। मुनि कमलेश ने श्रीमती प्रसन्न कवर धर्मपत्नी राजेंद्र राज कुंभट को दोपहर में संथारा पंडित मरण का पच्चखान करवाया धर्म ध्यान सुना रहे थे करीब 20 मिनट मैं हीसंथारा सीज गया जय-जय नंदा जय-जय भद्दा की घोषणा से स्थल गूंज उठा कवि रत्न सी अक्षतमुनि जी सेवाभावी कौशल मुनि जी ने भी धर्म ध्यान सुनाया।