जोधपुर । आत्मा की अमरता और देह की नश्वरता और कर्म वाद सिद्धांत के साथ पुनर्जन्म जिसको कि आज का विज्ञान भी स्वीकार कर चुका है आए दिन से को प्रत्यक्ष घटनाएं सामने आ रही है इन में विश्वास रखने वाला ही सच्चा ज्ञानी है उक्त विचार राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने ज्ञान गच्छ के गच्छा धिपति पंडित प्रकाश मुनि जी की महासती उर्मिला जी के संथारा की कुशलक्षेम पूछते हुए राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने कहा कि संथारा आत्म शुद्धि का सर्वोच्च सोपान है देहा शक्ति को त्याग कर आत्मा साधना में लीन होकर परमात्मा स्वरुप का निखार अपने में प्रकट करती है। मुनि कमलेश से कहा कि विषय वासना और कामना से मुक्ति पाए बिना सच्ची शांति को व्यक्ति प्राप्त नहीं कर सकता सब धर्मों का यही सिद्धांत है ।
राष्ट्रसंत ने बताया कि दुर्लभ मानव जन्म पाकर भी लक्ष्य खाना-पीना परिवार ही रहा तो पशुओं के जीवन में हमारे जीवन में कोई अंतर नहीं रहेगा जैन संत ने कहा कि शरीर का पोषण आत्मा का शोषण मैं अपने साथ ही सौतेला व्यवहार कर रहा है तप संयम साधना के द्वारा कर्मों की निर्जरा करके आत्मा को जन्म मरण से मुक्ति दिलाकर सिद्ध बुद्ध बन सकता है । उन्होंने कहा कि आत्मा की संपूर्ण शक्ति को प्रकट करके कर्मों से मुक्ति पाकर अंदर बैठे परमात्मा शुरू को प्रकट करना साधना का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए । विराजित महा सति जी के अनुरोध पर संथारा साधिका महासती उर्मिला जी को मुनि कमलेश ने मंगल पाठ प्रदान किया कवि अक्षत मुनि सेवाभावी कौशल मुनि भी साथ में विराजमान थे।