अभ्युदय चातर्मास में सभी बनो परमात्म कृपा के पात्र -आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा

रतलाम, 28 जून। परमात्मा हमारे जीवन का आदर्श है। वे कभी किसी को पात्र नहीं बनाते। वे किसी को परमात्मा भी नहीं बनाते। हमे ही उनकी कृपा का पात्र बनना होगा। पात्रता के लिए वस्तुओं का मोह छोडते जाओ और व्यक्तियों को जोडते जाओ।
यह आव्हान परम पूज्य प्रज्ञा निधि युगपुरूष आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में प्रवचन के दौरान किया। उन्होंने कहा कि संसार में जितने भी महापुरूष हुए है, वे पात्र बनकर ही हुए है। पात्रता कि बिना साधना नहीं होती, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को पात्रता हासिल करने का प्रयास करना चाहिए। पात्रता के लिए वस्तुओं का मोह छोडना पडेगा। इसलिए वर्तमान में जो मोह है, उसे धीरे-धीरे छोडे और नया किसी प्रकार का मोह नहीं बने, उसके लिए प्रयास करे। इसी प्रकार व्यक्ति को जोडना है, क्योंकि व्यक्ति, व्यक्ति नहीं अपितु शक्ति है ओर ये शक्ति बुद्धि बन सकती है। बुद्धि कभी भी सिद्धी बन सकती है।
आचार्यश्री ने कहा कि व्यक्ति को जीवन में सन्मति और मृत्यु उपरांत सदगति चाहिए। इसके लिए प्राप्त को पर्याप्त मानना होगा। अप्राप्त को प्राप्त करने की चिंता में रहेंगे, तो मन को कभी शांति नहीं मिल पाएगी। जीवन में अब तक शरीर का पोषण और दूसरों का शोषण किया। यदि मन की शांति पाना है और पात्र बनना है, तो आत्म कल्याण के मार्ग पर चलो। इससे ही मोक्ष प्राप्त होगा। आरंभ में विद्वान श्री धेर्यमुनिजी मसा ने विचार व्यक्त किए। संचालन दिव्यांशु मूणत द्वारा किया गया।