जैन दिवाकरीय तपस्वी महासती श्री मंगलज्योती जी म सा का 48 उपवास के साथ संथारा के साथ मोक्ष मार्ग की राह पर चलते हुए देवलोक गमन हुआ

जावरा (अभय सुराणा) । भगवान महावीर के शासनकाल में तप जप ध्यान का अपना एक महत्व होता है भगवान महावीर स्वामी के बताये सिद्धांत अंहिसा परमोधर्म, जियो ओर जिने दो, सत्य, अंहिसा, ओर अपरिग्रह के मार्ग पर चलतें हुए इस देह का त्याग मोक्ष मार्ग की ओर ले जाता है । ऐसी ही जैन दिवाकरीय तपस्वी महासती श्री मंगलज्योती जी म सा ने 48 दिन के उपवास के साथ संथारा समाधि पुर्वक सिज गया जिससे आपका अंरिहत शरण हो गया । आप महासती पुज्य गुरुदेव जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म सा कि अनुयायी के साथ उपाध्याय श्री मुलमुनी जी मसा, प्रवर्तक श्री विजय मुनी जी मसा की आज्ञानुवर्ती थे । आपका जन्म मालेगाँव महाराष्ट्र 22 मार्च 1958 को विरमाता बसंता बाई मिश्रीमल जी नाहर कि कुक्षी से हुआ था । आपका सांसारिक नाम मंगला था आपका विवाह रमेश सुराणा से हुआ था विवाह के कुछ समय पश्चात आपको वेराग्य आया जिस समय आपके पुत्री कुन्दा थी आपने 11 दिसंबर 1986 को उपाध्याय श्री केवल मुनी जी म सा के पावन सानिध्य में वर्तमान उपाध्याय श्री मुलमुनी जी मसा के मुखारविंद से दादी गुरुणी राजस्थान सिंहनी महासती पानकुवंर जी मसा के पावन सानिध्य में दिक्षा देकर घोर तपस्वी श्री रमणीक कुवंर जी म सा की शिष्या घोषित किया गया आपकी सांसारिक पुत्री ने भी संयम अंगीकार किया जो कि वर्तमान मै महासती श्री रचिता जी म सा है जिन्होंने वर्तमान समय में आपकी खुब सेवा कर शिष्या एवं बेटी दोनों का फर्ज अदा किया। आपने दिक्षा के पश्चात महाराष्ट्र मध्यप्रदेश गुजरात विदर्भ सहित अनेक प्रदेशों मे विचरण कर धर्म फताका फहराकर जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म सा का नाम गौरवान्वित किया । आपने 53,47,45,42,41,37, के साथ वर्षीतप तथा कई तपस्या कि तथा अंत समय में 48 उपवास के साथ संथारा के साथ मोक्ष मार्ग की राह पर चलते हुए देवलोक गमन देवलाली नासीक महाराष्ट्र में 3 अगस्त को हो गया है । उक्त जानकारी देते हुए अ भा जैन दिवाकर संगठन समिति के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य संदीप रांका ने बताया कि उपप्रवर्तक श्री अरुण मुनी जी म सा सेवाभावी श्री सुरेश मुनी जी म सा ने भी अपनी ओर से पुष्पाजंली संदेश देते हुए फरमाया की महासती श्री मंगलज्योती जी का संथारा पुर्वक पंडित मरण होने से जैन दिवाकर सम्प्रदाय एवं श्रमण संघ के लिए एक अपूरणीय क्षति है जिसे भरपायी असंभव है महासती श्री मगंलज्योती जी म सा के देवलोक गमन पर जैन दिवाकर परिवार के बाबुलाल ओस्तवाल, मदनलाल नाहर, दिपचंद डांगी, मनोहरलाल चपडोद, पारसमल बरडीया, बसंतीलाल चपडोद, धर्मचंद श्रीश्रीमाल, पुखराज कोचच्टा ,अजीत रांका, सुजानमल ओरा, मोहनलाल पोखरना, शांतीलाल दुग्गड, अनिल दुग्गड ,रमेश चंद जैन एडवोकेट , श्रीपाल कोचच्टा, सुरेन्द्र कोचच्टा, सुरेश मेहता, सुजानमल कोचच्टा, अभय सुराणा, सुशील कोचच्टा, सुरेन्द्र मेहता, मोतीलाल मांडोत, वर्धमान मांडोत, शांतीलाल चपडोद, दिनेश पोखरना, राजेन्द्र ओस्तवाल,प्रकाश बोथरा,नरेन्द्र रांका, अशोक रांका, सुशील मेहता,जतिन कोचच्टा, विजय कोचच्टा, ज्ञानचंद ओस्तवाल, फतेहलाल बुरड, रुपेश दुग्गड, पुखराज भंडारी, विरेन्द्र रांका, अतुल मेहता, सुनिल मेहता संजय सुराणा, नितिन कोलन, पुखराज भंडारी, आकाश जैन, मनीष पोखरना, वैभव ओस्तवाल, राहुल रांका, मनोज डांगी, सोरभ दुग्गड, पंकज श्री माल, संदीप जैन,अंकुर जैन, आदि ने संथारा साधक महासती श्री मंगलज्योती जी म सा को अपनी-अपनी श्रद्धांजलि कोविड-19 के निर्देशो के अनुसार दि गई ।