राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश के सानिध्य में तपस्वी भैरूलाल जी के मास खमण की तपस्या पूर्ण की
जोधपुर । तप के माध्यम से आत्मा की शक्ति को जागृत करके कर्मों से मुक्ति पाई जा सकती है । मन को शांत बनाता है शरीर को रोगों से मुक्ति दिलाता है । उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने महावीर भवन निमाज की हवेली मे तपस्वी भैरूलाल जी के मास खमण तप अभिनंदन समारोह पर विचार व्यक्त करते कहा कि तप करना कठिन है इससे भी कठिन है भोजन पर बैठकर स्वाद का नियंत्रण करना और भूख से कम खाना यह महान तपस्या है। उन्होंने कहा कि अंदर में उठने वाली आशा और तृष्णा की ज्वाला जो आकाश के समान अनंत है सद्गुणों को नष्ट कर देती है शांति भंग कर देती है इन पर अंकुश लाना भी तप है । मुनि कमलेश ने बताया कि भूख से ज्यादा खाना शरीर के साथ अन्याय करना है रोगों का घर बनाना है भूख से जितने लोग नहीं मरते हैं जितने ज्यादा खा खाकर मरने वालों की संख्या है । जैन संत ने कहा कि पांच इच्छा पूरी होती है 50 नई पैदा हो जाती है इच्छाओं का निरोध करना ही सबसे महानतम तप हैं । राष्ट्रसंत स्पष्ट कहा कि डब्ल्यूएचओ और आज का विज्ञान भी सिद्ध कर चुका है कि तप अपने आप में सबसे बड़ी दवाई है । श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से महामंत्री सुनील चोपड़ा सुरेश पारक, दीपचंद टाटिया प्रसन्न कुमार पटवा हुक्मीचंद सांखला नगेंद्र संचेती और महिला मंडल ने अभिनंदन किया विशेष बात है कि मुनि कमलेश की सेवारत सेवक ने जैन नहीं होते हुए भी इतना महान तप किया घनश्याम मुनि अरिहंत मुनी ने विचार व्यक्त किए अक्षत मुनि जी ने भी गीतिका प्रस्तुत की कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया।