पर्यूषण पर्व पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश कहा कि – विनय के द्वारा सीख गया बूंद जैसा ज्ञान भी सागर के ज्ञान रूप में परिवर्तित हो जाता है

जोधपुर । विनय के अभाव में उपार्जित किया हुआ आध्यात्मिक ज्ञान भी अभिशाप के रूप में बदल जाएगा विनय ही ज्ञान का सच्चा श्रृंगार है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने पर्यूषण पर्व पर महावीर भवन नेहरू पार्क में धर्म सभा को संबोधित करते कहा कि विश्व के सभी धर्मों ने विनय को धर्म का प्रवेश द्वार बताया है ।
उन्होंने कहा कि विनय के द्वारा सीख गया बूंद जैसा ज्ञान भी सागर के ज्ञान रूप में परिवर्तित हो जाता है ज्ञानी को परमात्मा का रूप मानकर उसके प्रति समर्पित हुए बिना विकास असंभव है । मुनि कमलेश ने बताया कि ज्ञान की बातें कठोर अनुशासन में भी हमें मिले विनय शील सौभाग्य मानता है अविनीत उसको दुर्बुद्धि से दिखता है । राष्ट्रसंत स्पष्ट कहा कि विनायक के द्वारा दिल को जीत कर प्राप्त किया हुआ ज्ञान अमृत से भी बढ़कर होता है । जैन संत ने कहा कि ज्ञान के साथ अहंकार का निर्माण होना पतन और विनाश की निशानी है अहंकार से सभी प्रकार के पापों का संचय होता है विनय में ही मोक्ष का निवास है पटवा माता जी के आज 24 वा पास है 85 वर्ष की उम्र में कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया अक्षत मुनि ने विचार व्यक्त किए