हम आजादी के बाद भी अंग्रेजों जैसा रहन-सहन और खानपान की नकल करते है इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है – राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । हम बाहरी तौर पर चाहे आजाद हो गए हो लेकिन अंग्रेजों की मानसिक बेडिय़ों में जकड़े हुए आज भी हम गुलाम हैं हमारी शिक्षा चिकित्सा न्याय पद्धति पर पूरी छाया है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने पंद्रह अगस्त पर अपने विचार व्यक्त करते कहा कि हमारा रहन-सहन खानपान बोली चली मैं भी अंग्रेजों की नकल करके अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है । उन्होंने कहा कि आजादी के लोकतंत्र पर हमारे द्वारा ऐसा कृत्य करना शहीदों का अपमान आजादी पर कलंक है।
राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि विदेशी वस्तुओं का उपयोग करने वाला सच्चा भारतीय नहीं हो सकता जिसमें देश का स्वाभिमान नहीं वह धार्मिक नहीं । मुनि कमलेश ने कहा कि मानसिक आजादी ही सच्ची आजादी होती है उसकी रक्षा के लिए हम सब को तैयार होना होगा पाश्चात्य संस्कृति का हमला आतंकवाद से भी खतरनाक है । जैन संत ने दुख के साथ कहा कि भ्रष्टाचार, मिलावट, हिंसा, आतंकवाद, कट्टर, सांप्रदायिकता का नंगा नाच हम सब के लिए चुनौती है आजादी के लिए खतरा है । आजादी की एक और लड़ाई लडऩे को तैयार रहना होगा । कवि रत्न सी अक्षत मुनि जी केस लोच समापन हुआ कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया अंतागढ़ सूत्र का वाचन हुआ त्याग तपस्या साधना में उत्साह पूर्वक भाग ले रहे हैं।