पल भर के क्रोध में वर्षों पुराने मधुर संबंध भी खाक में मिल जाते हैं, जप तप और साधना भी स्वाहा हो जाते हैं क्रोध अपने आप में हिंसा है- राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । आग को कभी आग से नहीं बुझा या सकता वैसे ही क्रोध से क्रोध को कभी समाप्त नहीं किया जा सकता क्रोध व्यक्ति को राक्षस और शैतान बना देता है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने संवत्सरी पर्व पर महावीर भवन नेहरू पार्क में धर्म सभा को संबोधित करते कहा कि हमारे क्रोध करने पर अगले का नुकसान हो या ना हो उस ज्वाला में हमारे सभी सद्गुण जलकर नष्ट हो जाते है । उन्होंने कहा कि विश्व के सभी धर्मों ने क्रोध को अनर्थ की खान बताई ज्ञान और विवेक के दीपक बुझ जाते हैं अंधा बनकर खून के रिश्ते में ही कड़वाहट घोल देता है । मुनि कमलेश ने बताया कि जिसमें क्रोध का भूत सवार होता है मानसिक संतुलन खो बैठता है ब्लड प्रेशर हाई का का शिकार बन सकता है । राष्ट्रीय संत ने कहा कि पल भर के क्रोध में वर्षों पुराने मधुर संबंध भी खाक में मिल जाते हैं जप तप और साधना भी स्वाहा हो जाते हैं क्रोध अपने आप में हिंसा है । जैन संत ने कहा कि क्षमा सबसे बड़ा तप है उसी में धर्म और मोक्ष का निवास है कायर आदमी क्षमा नहीं कर सकता यह वीरो का आभूषण है क्षमा दान सबसे बड़ा दान है क्षमा लेने और देने पर दोनों आत्मा निर्मल और पवित्र बन जाती है उसी में धर्म का निवास होता है श्रीमती पदमा बाई पटवा ने इस उपवास का पचकान लिया श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से अभिनंदन पत्र भेंट कर स्वागत किया सामूहिक आत्म लोचना का आयोजन हुआ कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया अक्षत मुनि जी ने विचार व्यक्त किए ।