- स्वअनुशासन हमारी सबसे बड़ी शक्ति जिसके बल पर हर तुफान का कर सकते सामना
- इतना ही काफी को छोड़ कुछ कम की तरफ आगे बढ़े तो मुश्किले आएगी
- आदिनाथ सोसायटी के पारख धर्मसभा मण्डप में नियमित चातुर्मासिक प्रवचन
पूना, 3 सितम्बर। जिंदगी में कभी भी सहयोग करने वाले की परीक्षा लेने की गलती मत करना। धन्यवाद देने की जगह उनकी परीक्षा लेने लगे तो सहयोगी भी अपनी जिंदगी से बॉय-बॉय कर जाएंगे। अपने घरवालों की परीक्षा लेने की बजाय उन्हें ऐसा तैयार करे कि बाहर की हर परीक्षा में पास हो जाए। हम जिनको ट्रेण्ड करना चाहिए उनकी ही परीक्षा लेने की गलती कर जाते है। ये भूल जाते है कि परीक्षा लेने के लिए तो पूरी दुनिया हर कदम पर तैयार है। हम तो परिवार के बच्चों को इतना परफेक्ट बनाए कि वह जिंदगी की हर परीक्षा में पास हो जाए। ये विचार पुण्यनगरी पूना के आदिनाथ सोसायटी जैन स्थानक भवन ट्रस्ट के तत्वावधान में पारख धर्मसभा मण्डप में रविवार को श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाश महारासा के सुशिष्य आगमज्ञाता प्रज्ञामहर्षि श्री डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचनमाला ‘कहानी द्रोपदी की-कहानी कर्म की’ के तहत पांडवों द्वारा उन्हें युद्ध में विजय दिलाने में सहयोग करने वाले भगवान श्रीकृष्ण की ही परीक्षा लेने के प्रसंग की चर्चा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमे जिंदगी में सहयोगी की ही परीक्षा लेने वाली पांडवों की गलती नहीं दोहरानी है। जब परिवार वाले परीक्षक बन जाए तो बहुत खतरनाक मोड सामने आते है। हमेशा याद रखो जो हमको पास कर रहे है कम से कम उनकी परीक्षा नहीं ले। इसके लिए स्वअनुशासन (सेल्फ डिस्पिलेन) ओर स्व नियमन (सेल्फ रेगुलेशन) जरूरी है। मुनिश्री ने कहा कि स्वअनुशासन के बिना जिंदगी के ऐसे घुमावदार मोड पर फिसलने के चांस हमेशा रहेंगे। यदि स्वअनुशासन है तो कोई भी तुफान हमे अपने मार्ग से विचलित नहीं कर सकता। एक नियम बना ले कि मुझे कोई देख रहा हो या नहीं देख रहा हो मुझे गड़बड़ी नहीं करनी है अन्यथा जरा सा मौका मिलते ही इंसान गड़बड़ी शुरू कर देता है। समकितमुनिजी ने कहा कि हमारी जिंदगी का कोई भी दिन खाली नहीं जाना चाहिए। जिंदगी में जो दिन धर्मरहित रहता वह बेकार हो जाता है। समय का स्वागत धर्म से करने का वालों का जीवन सफल होता है। समय को धर्म देने पर वह खुश होता है। जब तक समय खुश रहता तभी तक अपना राज चलता है। समय के नाराज होने पर अपना राज भी चला जाता है। मुनिश्री ने कहा कि जिंदगी में दो वाक्य है बस इतना ही काफी है ओर कुछ कम है। बहुत सी बार हम बोलते है कि बस इतना ही काफी है ओर कभी बोलते है कि कुछ कम है। इन वाक्यों में बोल-बोल का फर्क है। ये आपको फायदा भी करा सकते है ओर नुकसान भी दे सकते है। जब इतना ही काफी है को छोड़ कुछ कम की तरफ आगे बढ़ेंगे तो सामने वाले को गुस्सा आएगा ही। हमेशा जो मिल रहा उसके प्रति असंतोष जताने की बजाय संतोष जताने का प्रयास करें। धर्मसभा में गायनकुशल जयवंत मुनिजी म.सा. ने प्रेरणादायी भजन ‘‘नाव मेरी मझंधार में आई ओर लहरों से हार गई’’ की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में पूज्य प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा., सरलमना श्री विजयमुनिजी म.सा.,सेवाभावी श्री भूषणमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में हैदराबाद, जलगांव से आए श्रावकों के साथ पूना महानगर के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे। धर्मसभा का संचालन एवं अतिथियों का स्वागत आदिनाथ स्थानकवासी जैन भवन ट्रस्ट पूना के अध्यक्ष सचिन रमेशचन्द्र टाटीया ने किया। चातुर्मासिक प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 से 9.45 बजे तक हो रहे है। चातुर्मास के तहत आत्मकल्याण के लक्ष्य से सर्वोतभद्र चौमुखी जाप आयोजन भी 18 सितम्बर तक प्रतिदिन रात 8.30 से 9.30 बजे तक हो रहा है।
जैन है तो पर्युषण में बिना प्रवचन सुने दुकाने नहीं खोलना
आगम मर्मज्ञ समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि चातुर्मास के दौरान 12 से 19 सितम्बर तक मनाए जाने वाले पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की तैयारियों में सभी जुट जाए। पर्युषण पर्व खाली नहीं जाना चाहिए अपनी-अपनी क्षमतानुसार धर्म आराधना करते हुए कुछ न कुछ तप-त्याग के साथ विदा करना है। पर्युषण पर्व से पूर्व तीन दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘‘करो तपस्या मिटे समस्या’’ 8 से 10 सितम्बर तक आयोजित होगी। उन्होंने कहा कि मन में अभी से भाव बनाना शुरू कर दे कि मुझे पर्युषण के प्रथम दिवस 12 सितम्बर को उपवास करते हुए पौषध आराधना करनी है। घर में चर्चा शुरू कर दे कि पर्युषण में क्या करना है। घर में बच्चों को बता दे कि आठ दिन धन की नहीं धर्म की जरूरत है। बिना प्रवचन सुने दुकाने नहीं खोलना है। मुनिश्री ने कहा कि जैनी यदि आठ दिन भी प्रवचन के बाद दुकाने नहीं खोल सकते तो उन्हें अपने नाम के साथ जैन नहीं लगाना चाहिए। यदि हम दो पर्वाधिराज पर्युषण के समय दो घंटे भी दुकाने बंद नहीं रख सकते तो जैनी कैसे कहला सकते। हमे पाली, डूंगला, बालोतरा जैसे स्थानों से प्रेरणा लेना चाहिए जहां पूरे बाजार ही आठ दिन बंद रहते है। पाली में तो हलवाई की भट्टी तक नहीं चलती है। उन्होंने कहा कि हमे सरकार से दूसरों की दुकाने बंद कराने से कहने से पहले आठ दिन अपनी दुकाने बंद करके बताना होगा। पर्युषण जिंदगी में आने वाले अनमोल पल है जो व्यर्थ नहीं जाने चाहिए। आठ दिन प्रवचन में परिवार सहित उपस्थित होते हुए अधिकाधिक समय धर्मस्थान में बिताना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। आठ दिन अधिकाधिक दया आदि व्रत साधना करने का भी प्रयास करना है।
वर्ष में 12 पोषध करने का प्रत्याख्यान लेने वालों का सम्मान
धर्मसभा में उन सुश्रावक-सुश्राविकाओं का पोषध ग्रुप की ओर से सम्मान किया गया जिन्होंने पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के मुखारबिंद से वर्ष में कम से कम 12 पोषध करने का प्रत्याख्यान ग्रहण किया। पोषध ग्रुप के मुथियानजी सर आदि ने ये किट प्रदान किए। मुनिश्री ने पूरे ग्रुप की सेवाओं की सराहना करते हुए उनके लिए मंगलभावनाएं व्यक्त की। इस अवसर पर पालीताणा आयम्बिल ग्रुप की ओर से सुश्राविका डॉ. शारदा जैन का दो माह की आयम्बिल तपस्या पूर्ण करने पर सम्मान किया गया।
तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान की स्तुति
चातुर्मास के तहत 21 दिवसीय उवसग्गहर स्रोत साधना के 13वें दिन भी प्रवचन शुरू होने से पहले पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने करीब 15 मिनट साधना सम्पन्न कराई गई। इसके माध्यम से तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान की स्तुति की गई। इससे जुड़ने वाले श्रावक-श्राविकाओं ने 13 वें दिन निवि तप किया। इस आयोजन के तहत 10 सितम्बर तक प्रतिदिन प्रवचन से पहले सुबह 8.30 बजे से 15 मिनट तक उवसग्गहर स्रोत की साधना होगी। इसमें बीस दिन तपस्या के एवं अंतिम दिन पारणे का रहेगा। इसके तहत पांच राउण्ड होंगे प्रत्येक राउण्ड में पहले दिन निवि, दूसरे दिन पोरसी, तीसरे दिन एकासन एवं चौथे दिन बियासना की आराधना होगी।
दो दिवसीय लोगस्स महापाठ के लिए पंजीयन जारी
श्राद्ध पक्ष (पिृत पक्ष) की चतुर्दशी व अमावस्या 13 व 14 अक्टूबर को दो दिवसीय सवा लाख लोगस्स महापाठ आयोजन के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जारी है। रजिस्ट्रेशन के लिए चार-चार अलग-अलग ग्रुप बनाकर दायित्व सौंपे गए है। इस दौरान चारों दिशाओं में 160-160 श्रावक-श्राविकाएं बैठकर विशेष आराधना करेंगे। इन दो दिवस में 40 बेले, 40 एकासन, 40 नीवी ओर 40 आयम्बिल की तपस्या होगी। तपस्या करने वाले को सीधी एन्ट्री होगी। बाकी श्रावक-श्राविकाएं रजिस्ट्रेशन के माध्यम से ही इसमें शामिल हो पाएंगे। पिृतपक्ष में होने वाली यह साधना विशेष फलदायी होती है। संवत्सरी से पूर्व रजिस्ट्रेशन का कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। उक्त जानकारी निलेश कांठेड़ मीडिया समन्वयक,समकित की यात्रा-2023 ने दी।