“गौतम गणधर चले अष्टापदतीर्थ” अष्टापद तीर्थ की भावयात्रा एवं वंदनावली कार्यक्रम संगीत भक्ति के साथ संपन्न

तलेगांव (पुणे) । परोपकार सम्राट मोहनखेड़ा तीर्थ विकास प्रेरक आचार्यप्रवर श्रीमद्विजय ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.के आज्ञानुवर्ती शिष्य वरिष्ठ मुनिप्रवर श्री पीयूषचंद्र विजयजी म.सा.मुनिप्रवर श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा. मुनिश्री प्रीतियश विजयजी म.सा. आदि ठाणा का परमपथ चातुर्मास ज्ञान ध्यान तप आराधना के साथ यशस्वी शासन प्रभावना से हो रहा है। निरंतर दसवां रविवारीय अनुष्ठान गौतम गणधर चले अष्टापदतीर्थ अष्टापद तीर्थ की भावयात्रा एवं वंदनावली कार्यक्रम संगीत भक्ति के साथ संपन्न हुआ। सर्वप्रथम तपस्वी श्री पीयूषचंद्र विजयजी म.सा.को सकलसंघ ने गुरुवंदन किया। संतश्री ने मंगलाचरण सुनाया। युवासंत श्री रजतचंद्र विजयजी ने स्वरचित श्री गौतम इक्कीसा का सामूहिक मंगल पाठ कराया । कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनिश्री ने बताया अष्टापदतीर्थ गुजरात के सिद्धाचल तीर्थ से 5 लाख 50 हजार Km. दुरी पर है।
मनुष्य बूढ़ा होने पर भी वासना मार्ग की चाहना करता रहता है। अष्टापद भावयात्रा एवं गौतम वंदनावली आयोजन द्वारा व्यक्ति वासना से उपासना मार्ग से जुड़े। मुनिश्री ने आगे बताया रेल का, प्लेन का, बस का, टिकट हमारे पास हो न हो किंतु एक टिकट हमारे पास है ही उसका नाम है मौत का टिकट। रेल बस प्लेन सिनेमा के टिकट उसी स्थान पर चलते हैं किंतु मौत का टिकट कहीं भी किसी भी स्थान पर चलता है, इस सत्य को हमेशा नजरों के सामने रखना चाहिये। भावयात्रा से मन की भावों की स्थिति मजबूत होती है। एक बार गौतम स्वामीजी चिंतित थे की मेरे सभी शिष्य दिक्षित होते केवलज्ञानी हो जाते हैं,मुझे केवलज्ञान कब होगा? प्रभु वीर ने उस समय अपनी देशना में कहां था,जो जीव अष्टापद की यात्रा अपनी लब्धि द्वारा करता है, उसी भव में मोक्षगामी होता है। यह सुनकर गौतम चले अष्टापद तीर्थ। बहुत ही सुंदर विवेचन के साथ प्रवचनदक्ष मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी ने विवेचन किया। श्रोत्रागण एकाकार हो सुनते रहे । सुंदर स्तुति-गीतों ने भावयात्रा को और आनंदित कर दिया। संगीत प्रस्तुति सतारा के प्रीतमजैन ने दी। डाहाणु ट्रस्ट मंडल के ट्रस्टी भरतभाई सोलंकी, ललितभाई पुनमिया, अशोकजी भंसाली, रमेशजी चंदन का बहुमान परमपथ चातुर्मास पर्व-23 के मुख्य लाभार्थी ‌श्री रविंद्रभाई हस्तीमलजी सोलंकी द्वारा सकल श्रीसंघ जीरावला ट्रस्ट मंडल की तरफ से किया गया। माल्यार्पण ए्ंव श्री राजेंद्रसुरि गुरुदेव की आरती श्री मोहनखेडा़ गुरुधाम तीर्थ दहाणू ट्रस्ट मंडल ने की । गौतम स्वामीजी की आरती श्री हर्षाबेन हेमंतजी दिवानी आकु्र्डी ने की। पिछले शुक्रवार तपस्वी श्री पीयूषचंद्र विजयजी की निश्रा में श्री रजतचंद्र विजयजी द्वारा सूरि हेमेंद्र के अंतिम शिष्य श्री प्रीतियश विजयजी का केशलोच सातापूर्वक किया गया। इसी बीच भीनमाल आहोर जालोर संघ दर्शननार्थ एवं सामाजिक चर्चा करने हेतु पधारे।जावरा श्रीसंघ के 80 महानुभावों का आगमन परमपथ चातुर्मास में हुआ। जावरा संघ अध्यक्ष अशोकजी लुक्कड़ का बहुमान एवं पधारे प्रमुख महानुभावों का बहुमान लाभार्थी परिवार व संघ ने किया। जावरा संघ अध्यक्ष अशोकजी लुक्कड़ ने सुरि ऋषभ के रिक्त स्थान को पूर्ण करने के लिए आगामी 2024 का चातुर्मास सभी संतों का जावरा श्रीसंघ में एक साथ हो यह भावना रखी। कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ मुनिप्रवर श्री पीयूषचंद्र विजयजी ने दहाणू तीर्थ का इतिहास बताया एवं बड़ी मांगलिक सुनाई।

ये थे आयोजन लाभार्थी
1.सौ.अनिताबेन रविंद्रजी सौलंकी
2.शा.निर्मलभाई नथमलजी निबजिया
3.शा.चंदनमलजी चुन्नीलालजी राठोड
4.शा.आकाशभाई हस्तीमलजी परमार
5.शा.राहुलभाई जयंतीलालजी नागोत्रा सौलंकी
6.संघवी ओटीबाई हिराचंदजी नागोत्रा सौलंकी
7.शा हजारीमलजी कपूरचंदजी ढुमावत
8.शा.चिमणलाल चुन्नीलाल शहा
9.शा.मोतीलालजी नथुलालजी वाडेकर
10.शा.रोशन राजुभाई ओसवाल