राष्ट्रसंत श्रीप्रमुखसागरजी महाराज ने दशम लक्षण महापर्व के सातवें दिन उत्तम त्याग पर केंद्रित प्रवचन में कहा- हमने जीवन में बहुत अर्जन किया, किंतु विसर्जन भी करना होगा

जावरा( अभय सुराणा)। राष्ट्रसंत श्री प्रमुख सागरजी महाराज ने दशलक्षण महापर्व के सातवें दिन उत्तम त्याग पर केंद्रित प्रवचन में कहा कि हमने अपने जीवन में बहुत अर्जन किया लेकिन अर्जन के साथ विसर्जन की व्यवस्था भी करना होगी क्योंकि बिना विसर्जन के सारा का सारा अर्जन निरर्थक है जो त्याग करता है वह हमेशा आगे बढ़ता है । जितना आप किसी चीज़ का त्याग करोगे उतना ही वह आपके पास अर्जित होता रहेगा । हमने एक मां-बाप व भाई-बहन का मोह त्यागा अनेक माता-पिता और भाई बहन मिल गए, हमने एक घर की रोटी छोड़ी तो अनेक घर की रोटी मिल रही है यहां तक की हर कोई हमें अपने घर रोटी के लिए बुलाता है इसलिए मैं कहता हूं कि उन्होंने त्याग किया वे आगे बढ़ते गए ।
करीब 47 मिनट के प्रवचन में आपने फरमाया कि दुनिया में उत्तम त्याग 24 प्रकार के होते हैं जिनका हर कोई त्याग नहीं कर सकता लेकिन 24 प्रकार के परिग्रह कोई करता है तो वह है- मुनिराज । मन के भाव में आसक्ति भी उत्तम त्याग कहलाती है हंसना और शोक भाव आना भी परिग्रह है जीवन में कई बार सोचते हैं कि दान देने वाले के नाम हमेशा सम्मान के साथ लिखे जाते हैं उनका सार्वजनिक सम्मान भी होता है लेकिन स्वाध्याय ( ज्ञानी व्यक्ति ) का सम्मान करने की कोई परंपरा नहीं है जबकि ज्ञानदान जीवन में महत्वपूर्ण है वर्तमान दौर में ज्ञान की कोई कीमत नहीं है सिर्फ और सिर्फ पैसे वालों का ही सम्मान होता है उत्तम त्याग वो व्यक्ति करता है जो अभयदान करता है द्य साधुओं की व्यवस्था करने वाला भी अभयदानी कहलाता है आत्म कल्याण की चाह में व्यक्तियों को अपने नाम की चाह का परित्याग करना चाहिए जीवन में हमें ऐसा काम करना चाहिए कि स्वत: ही आपका नाम होता चला जाए द्य त्याग से बहुसागर पार होता है लाखों-करोड़ों के पास त्याग है लेकिन वे त्यागी जीवन नहीं अपनाते, जो लोग त्यागी जीवन अपनाते हैं उनका जीवन धन्य हो जाता है द्यआपने कहा कि जिस प्रकार घर में नाली होना आवश्यक है ताकि घर की गंदगी बाहर निकले उसी प्रकार मन की गंदगी साफ करने के लिए भी मन की नाली भी होना जरूरी है ताकि मन की गंदगी भी समय-समय पर साफ होती रहे द्य आपने उदाहरण सहित बताया कि समुद्र से बादल बनते हैं और बादल काफी परिश्रम कर पानी एकत्र करते हैं और एक निश्चित समय पर पृथ्वी को पानी का दान करते हैं जिसे वर्षाकाल कहा जाता है द्य इसीलिए कहा जाता है कि
इस धरा का सब धरा रह जाएगा, मु_ी बांधे आया था हाथ पसारे जायेगा अर्थात आप जीवन में कितना ही जोड़े जाओ किंतु सब हमें छोड़कर ही जाना है । उत्तम त्याग को परिभाषित करते हुए आपने फरमाया कि जिस प्रकार जिस प्रकार स्वस्थ आदमी कभी बुखार की दवाई नहीं लेता वह बीमार होने पर ही दवाई लेता है उसी प्रकार आप पहले कमाई के लिए कई त्याग करते हैं और बाद में प्राप्त धन की सुरक्षा के लिए अस्वस्थ हो जाते हैं इसीलिए दुनिया में धन को 11 वा प्राण कहा गया है द्य प्रवचन के दौरान सभागार में उपस्थित पंडितजी ने एक शेर अर्ज किया – पैसा खुदा तो नहीं किंतु खुदा की कसम खुदा से भी कम नहीं ।
राष्ट्रसंत ने धाराप्रवाह बोलते हुए कहा कि यदि दौलत बटे तो कोई बात नहीं किंतु दौलत के कारण भाई भाई के बीच एवं परिवार में कोई विभाजन ना हो आपस में कोई द्वेष भावना नहीं हो आपसी प्यार प्रेम एवं भाईचारा बना रहे यह प्रयास होना चाहिए क्योंकि शोहरत बहुत मुश्किल से आती है और इसी दौलत के वशीभूत लड़ाई के कारण वह शोहरत विलुप्त हो जाती है द्य दुनिया में झगड़े जर ,जोरू एवं जमीन के होते हैं लेकिन वर्तमान युग में अब जमीन के लिए भी लड़ाई शुरू हो गई है लेकिन हमें जमीर के लिए भी नहीं लडऩा चाहिए हमें जीवन में ईर्ष्या, क्रोध ,मान ,मोह ,माया आदि चीजों को भी छोडऩा होगी तथा ज्ञान का दान अर्जित करने के साथ ही पैसे का उत्तम त्याग करने के लिए अग्रसर होना चाहिए द्यआपने कहा कि संसार में दो चीजों से व्यक्ति दुखी होता है एक परिचय से और दूसरा परिग्रह से ,यदि परिचय बढ़ता है तो हमें उसको निभाना मुश्किल होता है परिचय इतना रखो कि सबके बीच में रहो तो लगे कि वह तो हमारा है और जब अकेले रहो तो इसलिए चिंता नहीं होना चाहिए कि मेरा कोई नहीं है इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि यदि धन दौलत और पैसे का उत्तम त्याग किया गया तो जीवन में अनंत सुख की प्राप्ति संभव है क्योंकि जीवन में उत्तम त्याग दान को ही माना गया है उत्तम त्याग में आहार दान भी निहित है इसलिए आहार दान भी उत्तम त्याग में शामिल है ।
चातुर्मास समिति के प्रवक्ता रितेश जैन ने बताया कि कार्यक्रम के प्रारंभ में विधान का लाभ राजकुमार नरेंद्र गोधा एवं शांति धारा का लाभ राजेश ,यश कियावत ने लिया । कार्यक्रम का संचालन चातुर्मास समिति के महामंत्री विजय औरा एडवोकेट ने किया ।