जोधपुर । अभिशाप देने वाले को भी निस्वार्थ भाव से आशीर्वाद प्रदान करता है वह संत विश्व पूजनीय बनता है चाहे किसी भी संप्रदाय से क्यों ना हो उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने निमाज की हवेली महावीर भवन मैं सामायिक दिवस के रूप में आचार्य जयमल जी की जयंती पर धर्म सभा को संबोधित करते कहा कि जो बुराई के बदले भलाई और जहर के बदले अमृत बांटता है वास्तव में वहीं संत है, चलता फिरता तीर्थ है । उन्होंने कहा कि व्यसनाधीन आदमी संत तो क्या इंसान कहलाने के लायक भी नहीं होता है नशा और साधु ता में 36 का आंकड़ा है । मुनि कमलेश ने बताया कि संत साधना के द्वारा आंतरिक शक्ति को जागृत करके पूरे विश्व को नई दिशा प्रदान कर सकता है । जैन संत ने कहा कि संत का उच्च आदर्श त्याग संयम और साधना के वाइब्रेशन से का व्यापक प्रभाव उनके बिना बोले सृष्टि के प्रत्येक प्राणी पर सकारात्मक पड़ता है । मूर्तिपूजक बाल मुनि मोक्षा नंद जी ने कहा कि वर्तमान में भगवान हमारे बीच नहीं है उनके संदेशवाहक के रूप में संत हमारे लिए मार्गदर्शन करने वाले हमारे सच्चे हितैषी हैं जयमल जी ने लाखों आत्माओं का ह्रदय परिवर्तन किया था । अक्षत मुनि अरिहंत मुनि ने विनय और सादगी संत का सच्चा श्रृंगार बताया कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया अरिहंत मुनि जी ने गीत प्रस्तुत किया । 31 अगस्त को श्रमण संघ के प्रथम आचार्य सम्राट श्री आत्माराम जी की जन्म जयंती सद्भावना दिवस के रूप में प्रात: 9.00 महावीर भवन निमाज कि हवेली में मुनि कमलेश के सानिध्य में मनाई जाएगी।