- देव, गुरू, धर्म के अलावा दुनिया में कोई नहीं फ्री में देने वाला
- आदिनाथ सोसायटी के पारख धर्मसभा मण्डप में नियमित चातुर्मासिक प्रवचन
पूना, 30 सितम्बर। भगवान गणेश को हर वर्ष चतुर्थी को स्थापित होते है ओर कुछ दिन बाद अगले बरस फिर आने की बोल विदा कर आते है पर भगवान गणपति का पूरा जीवन ही हमारे लिए प्रेरणादायी है। उनके जीवन की हर बाते हम शिक्षा प्रदान करती है। उनकी सवारी चूहा तो पिता शिवजी के गले में सांप ओर कार्तिकेय का वाहन मोर है। मोर सांप का तो सांप चूहे का दुश्मन है पर शिव परिवार में सभी दुश्मन भी एक साथ प्रेम से रहते है। ये बताता है कि भले सोच, विचारधारा अलग-अलग हो फिर भी बैरी का साथ रहना नामुमकिन नहीं है। ये विचार श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शनिवार को पुण्यनगरी पूना के आदिनाथ सोसायटी जैन स्थानक भवन ट्रस्ट के तत्वावधान में पारख धर्मसभा मण्डप में नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में भगवान गणपति पर चर्चा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गणेशजी के बड़े कान बताते है कि बहुत सी बार जो नहीं चाहते वह भी सुनना पड़ता है तो हमारे कान बड़े होने पर ऐसी बातों का मन मस्तिष्क पर विशेष असर नहीं होगा। लोकप्रिय बनना है तो कान बड़े होने चाहिए। इसी तरह गणपति का बड़ा पेट इंगित करता है कि बहुत सी बाते बताने या उगलने के लिए नहीं बल्कि पचाने के लिए होती है। ऐसे में हाजमा गणपति की तरह जबरदस्त होकर सुनने के साथ हजम करना भी सीखे। उन्होंने कहा कि भगवान गणपति का मस्तिष्क बताता है कि अपनी सोच संर्कीण नहीं बड़ी रखे। ब्रॉड माइंड होने पर हर किसी का सुन सकते है ओर सुनकर अपने में सुधार भी कर सकते है। गणपति का प्रिय भोजन मोदक दाना-दाना जुड़कर बनता है। यह हमे किस तरह जुड़कर रहना इसकी प्रेरणा देता है। मुनिश्री ने प्रवचनमाला ‘कहानी चेलना रानी की’ के तहत चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह अभयकुमार चेलना तक पहुंचने के लिए उसकी कमजोरी का पता लगा दासी के माध्यम से मुफ्त इत्र पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि ये बात हमेशा याद रखे कि देव, गुरू व धर्म के अलावा दुनिया में कोई फ्री में देने वाला नहीं है। जो आपको फ्री में दे रहा है वह किसी न किसी रूप में इसकी कीमत अवश्य वसूलेगा इसलिए फ्री के जाल से हमेशा सावधान व सर्तक रहे। धर्मसभा में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने प्रेरणादायी भजन ‘‘गुरूवर तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाए’’ की प्रस्तुति दी। पूज्य प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा., सरलमना विजयमुनिजी म.सा., सेवाभावी श्री भूषणमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। सिद्धी तप आराधना कर रहे सुश्रावक पुखराज सावद्रा ने आठवें चरण के छठे उपवास का प्रत्याख्यान ग्रहण किया। इनके अलावा कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, एकासन, आयम्बिल आदि तप साधना के भी प्रत्याख्यान लिए। धर्मसभा जयवंतमुनिजी म.सा. के सांसारिक परिजन मलेरकोटला (पंजाब) निवासी सुश्रावक श्री नरेश जैन एवं सीमा जैन का श्री आदिनाथ संघ द्वारा स्वागत-सम्मान किया गया। धर्मसभा का संचालन एवं अतिथियों का स्वागत आदिनाथ स्थानकवासी जैन भवन ट्रस्ट पूना के अध्यक्ष सचिन रमेशचन्द्र टाटीया ने किया।
आत्मीय सुख के लिए इच्छाकारणं की सात दिवसीय आराधना कल से
चातुर्मासिक आयोजनों के तहत एक अक्टूबर से पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सान्निध्य में सात दिवसीय इच्छाकारणं की सामूहिक आराधना शुरू होगी। आराधना के साथ सात दिन एकासन तप भी किया जाएगा। मुनिश्री ने कहा कि एकासन, बियासन, रात्रि भोजन त्याग जैसा कोई भी तप कर सके तो अच्छी बात है लेकिन कोई नहीं कर सके तो भी उसे यह आराधना छोड़नी नहीं है। यह इच्छाकारणं आराधना अनादिकाल की यात्रा में जाने-अनजाने भव-भव के अंदर एकन्द्रिय से लेकर पंचन्द्रिय जीवों तक की जो विराधना हुई उनकी आलोचना कर प्रतिक्रमण करने के समान है। यह आराधना हमारी आत्मा के साथ इस भव को ही नहीं परलोक को भी सुखी बनाने के लिए है। इस दौरान सुबह 8.45 से 9.45 बजे तक की अवधि में पहले आराधना एवं उसके बाद चातुर्मासिक प्रवचनमाला कहानी चेलना रानी की होगी।
श्राविका सम्मेलन का आयोजन कल, विशेषज्ञों का मिलेगा मार्गदर्शन
श्री आदिनाथ संघ के तत्वावधान में समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में एक अक्टूबर रविवार को दोपहर 2 बजे से श्राविका सम्मेलन का आयोजन होगा। इसमें विभिन्न विषयों पर प्रबुद्ध महिला चिंतक श्राविकाओं का मार्गदर्शन करेगी। वरिष्ठ सुश्राविका राजश्री पारख ने शनिवार को धर्मसभा में आयोजन से जुड़ी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा लोढ़ा, डिप्टी एसपी पल्लवी मेहर, विधायक माधुरी मिसल श्राविकाओं का मार्गदर्शन करेंगी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंति पर दो अक्टूबर को 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए गांधी बनो प्रतियोगिता धर्मसभा के दौरान ही होगी। इसमें बच्चों को गांधी के रूप में प्रवचन स्थल पर आना होगा।
सवा लाख लोगस्स महा आराधना 13 अक्टूबर से
श्राद्ध पक्ष (पिृत पक्ष) की चतुर्दशी व अमावस्या 13 व 14 अक्टूबर को बेला तप आराधना के साथ दो दिवसीय सवा लाख लोगस्स महा आराधना आयोजन के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जारी है। रजिस्ट्रेशन के लिए चार-चार अलग-अलग ग्रुप बनाकर कार्य किया जा रहा है। इन दो दिवस में 40 बेले, 40 एकासन, 40 नीवी ओर 40 आयम्बिल की तपस्या होगी। इस दौरान चारों दिशाओं में 160-160 श्रावक-श्राविकाएं बैठकर विशेष आराधना करेंगे।पिृतपक्ष में होने वाली यह साधना विशेष फलदायी होती है। उक्त जानकारी निलेश कांठेड़ मीडिया समन्वयक,समकित की यात्रा-2023 ने दी।