रतलाम, 30 सितंबर 2023। हम कुछ करेंगे तो लोग क्या कहेंगे इसकी चिंता मत करो। लोगों की कमी निकालने की आदत है। वह हर चीज की निंदा करते है। निंदक व्यक्ति कभी किसी का प्रिय नहीं बनता है। यदि निंदा करना है तो स्वयं की करो, दूसरों की नहीं। आत्मनिंदा साधना है और परनिंदा दोष कहलाती है। उसमें भी गुण वाले व्यक्ति की निंदा तो भूल से भी नहीं करना चाहिए।
यह बात आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा. ने सैलाना वालों की हवेली मोहन टाॅकीज में आत्मनिंदा और परनिंदा को परिभाषित करते हुए कही। मुनिराज ने कहा कि हमे प्रभु से प्रार्थना करना चाहिए कि हमारे भीतर का निंदा रस खत्म हो जाए। मानव प्रवृत्ति है कि हमे किसी के गुण नजर नहीं आते लेकिन दोष दिखते है और हम उसकी निंदा करते है।
मुनिराज ने कहा कि भले ही जीव खराब है लेकिन यदि वह प्रभु के हदय में बस गया है तो अब उसका सम्मान करना होगा। पाप भी दो प्रकार के होते है, एक जो हमारे पीछे पड़ा होता है और दूसरा जिसके पीछे हम पडे़ है। हमे हिंसा का दुख तो होता है लेकिन निंदा का दुख नहीं होता। किसी को यदि हम उसके दोष दिखाते है तो वह निंदा नहीं है लेकिन उसके दोष उसे न बताकर किसी और को बताना निंदा कहलाता है।
रविवार को एक साथ 1008 समूह सामायिक करेंगे
आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की साधना के बल निमित्त रविवार, 1 अक्टूबर को आचार्य श्री के शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा. की निश्रा में सैलाना वालों की हवेली मोहन टाकीज में एक साथ 1008 समूह सामायिक का आयोजन होगा। कार्यक्रम सुबह 9.15 से 10.45 बजे तक होगा। श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी ने समस्त धर्मालुजनों से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित रहकर धर्म लाभ लेने का आव्हान किया है।