समूहों में संगठित होकर मजदूर से व्यवसाई बन रही हैं ग्रामीण महिलाएं

रतलाम । राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं खासतौर पर संगठित होकर अपनी गरीबी से बाहर निकले, अपने परिवार तथा खुद की आर्थिक स्थिति को ऊंचा उठाएं। मिशन के इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए रतलाम जिले में भी बड़ी संख्या में महिलाओं के स्व-सहायता समूह गठित किए गए हैं। मिशन के तहत शासन द्वारा दिए गए प्रोत्साहन एवं सहायता राशि से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में महिलाएं अब अपने परंपरागत मजदूरी कार्य को छोड़कर व्यवसाई बनती जा रही हैं। इससे न केवल उनका जीवन स्तर ऊंचा उठा है बल्कि कार्य व्यवसाय की दृष्टि से भी वह सम्मानजनक स्थिति को प्राप्त कर रही हैं।
रतलाम से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम अंबोदिया में मिशन के अंतर्गत कई सारे स्व-सहायता समूह में ग्रामीण महिलाएं संगठित हुई हैं। महिला समूहों को शासन द्वारा मदद दी जा रही है, महिलाएं स्वयं भी बचत करती हैं। समय के साथ समूहों में गठित ये महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रही हैं बल्कि मजदूर से अब व्यवसाई बन रही है। अम्बोदिया की 12 महिलाओं ने मिलकर जय माता दी स्व-सहायता समूह बनाया है। मिशन के अधिकारियों, कर्मचारियों की समझाईश पर बने जय माता दी स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का बीड़ा उठाया है। करीब एक साल पूर्व बने समूह की महिलाओं को मिशन से 10000 रूपए का रिवाल्विंग फंड उपलब्ध कराया गया। साथ ही महिलाओं ने आपसी बचत करके 27000 रूपए जोड़ लिए।
अपने इरादों में नई चमक के लिए समूह की महिलाओं द्वारा अपने परिवार की उन्नति के लिए पृथक-पृथक कार्य और व्यवसाय चुन लिए हैं। समूह की अध्यक्ष अनीताबाई मोरी है, अनीता ने बताया कि वह दोनों पति-पत्नी मजदूरी करके अपना जीवन यापन कर रहे थे। बच्चों का पालन पोषण कर रहे थे, लेकिन समूह से जुड़ने के बाद शासन से मदद मिली। अनीता ने रतलाम से साड़ियां लाकर गांव में बेचने का कार्य आरंभ किया, इससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिलने लगा है। समूह में संगठित होने का सबसे ज्यादा लाभ श्यामाबाई को मिला है। श्यामाबाई दिव्यांग है, ऐसे में उन्हें मजदूरी कार्य में भी दिक्कत आती है लेकिन वे जबसे समूह से जुड़ी हैं मजदूरी का काम छोड़कर अब घर में सिलाई का कार्य कर रही हैं। मशीन लाने के लिए राशि नहीं थी, समूह द्वारा राशि दी गई तो श्यामाबाई मशीन खरीद लाई। अब अपने घर पर बैठकर सिलाई कार्य करते हुए आजीविका अर्जन कर रही हैं।
इसी तरह रेशमबाई मोरी के परिवार के पास थोड़ी सी कृषि भूमि है। परिवार की जरूरतों की पूर्ति के लिए मजदूरी कार्य भी किया जाता रहा है। अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठाने का संकल्प लेकर रेशमबाई ने 10000 रूपए समूह से उधार लेते हुए बकरी पालन शुरू किया। समूह से जुड़ी सभी महिला सदस्य पहले मजदूरी करती थी लेकिन अब मजदूरी छुटती जा रही है और वह व्यवसाई बनती जा रही है। जय माता दी समूह को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में 20 सितंबर को शासन द्वारा आयोजित क्रेडिट कैंप के माध्यम से 1 लाख 40000 रूपए का ऋण प्रदान किया गया है। महिलाएं इससे बहुत खुश हैं उनका कहना है कि वे इस राशि से अपने कार्य व्यवसाय को निश्चित रूप से नई ऊंचाई दे सकेंगी। समूह को रिवाल्विंग फंड भी दिया जाता है। इस राशि से उनके घर गृहस्ती तथा खेती बाड़ी में खाद-बीज की छोटी-छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है, उन्हें भारी ब्याज पर किसी से कर्ज नहीं लेना पड़ता है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समूहों में संगठित करके उनको प्रशिक्षण, बैंक लोन, रिवाल्विंग फंड तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के सुप्रयासों के परिणाम भी सार्थक रूप से मैदानी क्षेत्र में नजर आने लगे हैं। समूहों की महिलाएं भी मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान को धन्यवाद देती हैं।