आत्मनिर्भरता और शैक्षिक संस्कारों से युक्त बचपन का निर्माण आवश्यक

रतलाम । शिक्षा और संस्कार एक दूसरे के पूरक है उत्कृष्ट संस्कार अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरणा का कार्य करते हैं जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ उपक्रम है इसलिए आने वाली पीढ़ी के लिए उत्कृष्ट शिक्षण व्यवस्था के साथ-साथ श्रेष्ठतम संस्कारों का प्रबंध करना भी आवश्यक है। वह बच्चे बहुत सौभाग्यशाली है जिन्हें उत्कृष्ट संस्कारों से युक्त माता-पिता और भाई बहनों का प्यार और साथ मिल जाता है ।  लेकिन हमारे समाज के बहुत से ऐसे बच्चे हैं जिन्हें संस्कार और वह प्यार नहीं मिल पाता है जिसके वह आकांक्षी रहते हैं ।  लेकिन उम्मीद की किरण समाज रूपी सूर्य से ही निकलती है जहां सेवा को प्रमुख धर्म और कर्तव्य माना जाता है समाज के वह नौनिहाल जिन्हें कुदरत ने इन चीजों से वंचित रखा हुआ है उनके लिए सेवा भारती जैसे संगठन अंधेरे में रोशनी की किरण के रूप में कार्य कर रहे हैं उनके जीवन में व्याप्त अंधेरों को दूर करने के लिए दिन-रात लगे हुए हैं ।
हाट की चौकी स्थित सेवा भारती द्वारा संचालित आत्मनिर्भर एवं शिक्षण केंद्र के बालकों को देखकर सेवा भारती के प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की जाना चाहिए । केंद्र के संचालक अनुच्छेद ने बताया कि सेवा केंद्र में लगभग 50 बच्चे आवासीय स्कूल की तरह शिक्षा प्राप्त करते हैं जिन्हें उत्कृष्ट शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाले संसाधनों से परिचित कराया जाता है । जैसे ब्यूटी पार्लर कोर्स, वायर मैकेनिक तथा अन्य छोटे-छोटे लघु उद्योगों का कार्य सिखाया जाता है ।
सेवा भारती अध्यक्ष अनुज छाजेड़ ने बताया कि आरंभ में इस केंद्र पर काफी कम संख्या में बच्चे और महिलाएं आती थी लेकिन धीरे-धीरे प्रचार-प्रसार होने के बाद सेवा भारती द्वारा संचालित इस सेवा केंद्र में काफी बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे आकर अपना जीवन सवार रहे हैं यही हम सब का लक्ष्य है । यह सब हम सब का उद्देश्य है की मां भारती के गोद में कोई भी बच्चा एवं महिला अपने मौलिक अधिकारों से वंचित न रहे। शिक्षा, संस्कार के साथ-साथ जीवन यापन के लिए पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध कराए जा सके । जिससे हमारे समाज में सामाजिक विषमता या असंतुलन जैसी स्थितियां पैदा ना हो और आने वाला भविष्य आत्मग्लानि अथवा हीन भावना से प्रभावित न हो।