ट्रेड यूनियन आंदोलन वर्तमान समय की जरुरत, सीबी राठौर ट्रेड यूनियन के प्रेरणा स्त्रोत थे

रतलाम। वर्तमान में सरकारों द्वारा ट्रेड यूनियनों को कमजोर करने का मन बना लिया है, ताकि आंदोलनों को मजबूती नहीं मिले, इसलिए आज ट्रेड यूनियनों को अधिक मजबूती के साथ अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े रहने की जरुरत है, प्रोग्र्रेसिव पेंशनर्स एसो. रतलाम के तत्वावधान वक्तव्य में कामरेड सी.बी. राठौर के 9 वें स्मृति दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में वरिष्ठ कर्मचारी नेता कामरेड आई.एल. पुरोहित ने व्यक्त किए।
वर्तमान में ट्रेड यूनियन की दशा, दिशा विषय पर बोलते हुए कॉमरेड आई.एल. पुरोहित ने ट्रेड यूनियन के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलनों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ब्रिटिश भारत में श्रमिकों व ट्रेड आंदोलन की शुरुआत 1850 के दशक में कपास मिलों की शुरुआत से मानी जाती है।
पहला कारखाना अधिनियम और आयोग का गठन 1875 में बाम्बे के कारखाना श्रमिकों की समस्याओं को लेकर किया गया था।
भारत में कॉमरेड एन.एम. जोशी एं उनके साथियों ने मिलकर 1920 में बाम्बे में ही ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्र्रेस एटक की स्थापना की। यह 1,40,000 से भी अधिक सदस्यों के साथ 64 ट्रेड यूनियनों से जुड़ा संगठन था। इस संगठन ने सबसे पहले मजदूरों के काम के घंटों में कमी, श्रमिक वेतनवृद्धि, बोनस व अतिरिक्त छुïिट्टयों को लेकर हड़तालें की।
वर्तमान में सरकार देश में बने 29 श्रम कानूनों में संशोधन कर के श्रम कानूनों में परिवर्तन करने की योजना बना ली है, लेकिन इस देश में मजदूर व किसानों के सफल आंदोलनों ने उनको लागू नहीं करने पर विवश कर दिया है।
अध्यक्षीय उदबोधन में प्रोग्र्रेसिव पेंशनर्स एसोसिएशन रतलाम के अध्यक्ष कीर्तिकुमार शर्मा ने कॉमरेड सी.बी. राठौर के ट्रेड यूनियन आंदोलनों के कार्यों व संघर्षों का विस्तार से बताया। वे ट्रेड यूनियन के चलत-फिरते प्रशिक्षक व प्रेरणा स्त्रोत थे, कर्मचारी व मजदूर आंदोलनों में वे सदैव अग्र्रीम पंक्ति के नेता रहे है।
इस अवसर पर कर्मचारी नेता दुर्गेश सुरोलिया, रणजीतसिंह राठौर, ओमप्रकाश टांक ने भी कॉमरेड सी.बी. राठौर के कर्मचारी संघर्षों का बखान किया। आभार कार्यकारी अध्यक्ष एम.एल. भïट्ट ने माना तथा संचालन सचिव एम.एल. नगावत ने किया।
स्मृति दिवस कार्यक्रम में जितेंद्रसिंह पथिक, कैलाशनाथ शर्मा, अरुणकुमार क्षिरसागर, के.एल. भाटी, मोहम्मद अनवर, आर आर चव्हाण, आरसी किहोरी, मदनलाल यादव, मोतीलाल सेठिया, हरिशंकर चौहान, उच्छब लाल सालवी, ए एन कुरेशी कृष्णसिंह राठौर, जयवंत गुप्ते, विजयसिंह सिसोदिया, विभा जैन, निर्मला नलवड़े,प्रेम बेनावत,भारत सिंह सोनगरा, मंगला सोनगरा,आशा श्रीवास्तव, आर एस भार्गव, रमेशचंद्र करमैया, जीएस परमार, एस के मिश्रा, राजेंद्र कुमार मरमट, रमेशचंद्र जायसवाल आदि पेंशनर्स उपस्थित थे।