जोधपुर। धर्मस्थल जब धर्म आराधना और साधना का केंद्र भी प्रदर्शन में बदल जाता है तो साधना भी वि रा ध ना के रूप में परिवर्तित हो जाती है उक्त विचार राष्ट्रीय संत कमलमुनि कमलेश ने महावीर भवन निमाज की हवेली मे व्यक्त करते कहा कि धर्मस्थल में वीआईपी कल्चर का निर्माण अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रभु के दरबार में गरीब अमीर ऊंच-नीच छोटे-बड़े के साथ भेदभाव का व्यवहार करके प्राथमिकता देना महापुरुषों के सिद्धांत के साथ खिलवाड़ करना है।
मुनि कमलेश ने कहा कि धनबल बाहुबल सत्ता के बल पर धर्म स्थल पर एकाधिकार जताना किसी को वंचित करना अक्षम्य अपराध है।
राष्ट्र संत ने अत्यंत दुख के साथ कहा कि प्रभु भाव के भूखे होते हैं उनके भाव को कुचल ते हुए ₹500 और 1000 के बलबूते पर आगे आना पवित्र भाव को कुचलने का पाप कमाना है।
जैन संत ने कहा कि पहले आओ पहले पाओ समानता का व्यवहार जब तक धर्मस्थल में नहीं होता तब तक आत्म कल्याण की बातें करना आत्मा और परमात्मा के साथ धोखा करने के समान है कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया अरिहंत मुनि अक्षत मुनि घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए।