रतलाम 27 जुलाई । खेरादीवास स्थित नीम वाले उपासरे में चल रहे प्रवचन की श्रृंखला में साध्वी श्री समकीत श्रीजी म.सा. ने उद्बोधन ने कहा कि कर्म रूपी बंधन से अपने को छूटना पड़ेगा।आठ प्रकार के कर्म होते हैं।आठ प्रकार के इन कर्मों से बांधते है विनय विजय जी म.सा. कहते हैं संसार रूपी जंगल से निकलना है तो परमात्मा की वाणी का सहारा लेना पड़ेगा और शक्ति प्राप्त करने के लिए तप और त्याग दोनों करना पड़ते है तो सिद्धि मिलती है।
साध्वी श्री अनंत गुणा श्री जी म.सा. ने अपने व्याख्यान में कहा कि मां सरस्वती के बारे में बताते हुए कहा कि जहां सरस्वती प्रसन्न है वहां लक्ष्मी अपने आप प्रसन्न हो जाती है। लक्ष्मी पूर्व के पुण्य कर्मों से मिलती है और पाप से क्षय हो जाती है। जिसने भी ज्ञान की असाधना की है वह गुंगा और तोतला होता है और जो सरस्वती के आराधना करते हैं वह पंडित और विद्वान बन जाते हैं अपने यहां कालिदास हुए। जिन्होंने प्रथम बार रघुवंश काव्य की रचना की। एक जड़ और मूर्ख व्यक्ति भी सरस्वती की साधना, आराधना से विद्वान बनता है।
मंगल प्रवचन मे गुरु के बारे में बताया कि गुरु जो अपने जीवन में आत्म रूपी दीप जला दे वही गुरु होते हैं। सूर्य के प्रकाश को कहीं नहीं ले जाया जा सकता परंतु दीपक कहीं भी ले जा सकते है गुरु दीपक के समान है खुद प्रकाश करते हैं और दूसरों को भी अंधेरे में प्रकाश का रास्ता दिखाते हैं जिस तरह दीपक की लौ ऊपर की ओर उठती है वैसे ही गुरु हमारे जीवन को ऊपर की ओर उठाते हैं। गुरु के बिना जीवन अंधकार है जो जिनवाणी सुनाते हैं संसार के अंदर परिभ्रमण नहीं करते हैं इसलिए प्रतिदिन जिनवाणी सुनना चाहिए। जो आप पुण्य कर्म करोगे वही आपके साथ रहेंगे।अन्य कोई भी साथ जाने वाला नहीं है इसलिए मनुष्य को अपने पुण्य कर्म हमेशा करते रहने चाहिए। जीवन मे जो कुछ मिला है उसे बांटते रहो। जिनवाणी का अर्थ गुरु ही समझ सकते हैं क्योंकि वह ही समझ सकते हैं इसलिए गुरु की महत्ता है। कल से अठ्ठम तप की आराधना शुरू होगी। जब तक 125 माला नहीं जपते तब तक सिद्धि प्राप्त नहीं होती। फिर कहीं इधर-उधर भटकने जाना नहीं पड़ता। इसमें आपको पॉजिटिव एनर्जी मिलेगी।पहले दिन आपको मन में शक्ति मिलेगी, दूसरे दिन शरीर शुद्ध होता हैऔर तीसरे दिन भगवान के दर्शन होंगे। यह अठ्ठम की विशेषता है।
आचार्य देव श्रीमद् विजय लेखेन्द सुरेश्वर जी म.सा. के शिष्य मुनिराज श्री मृगेंद्र विजय जी म.सा. के 53 उपवास के उपलक्ष्य में सांसारिक परिवार द्वारा महामंगलिक का लाभ जीवन लाल मोतीलाल जी गुगलिया, लीलाबेन जीवन लाल जी गुगलिया, चेतन, ईनु, वंशिक, क्रिया एवं समस्त गूगल या परिवार द्वारा 53 उपवास के उपलक्ष्य मे 11 ड्रॉ लक्की ललिता बेन की तरफ से हैं। कल सुबह रविवार को 9:30 बजे धर्म के मूल पर अहंकार पर प्रवचन रहेगा तथा 10:30 बजे से 11:30 महामंगलिक होगी।
सौ. वृ.त. त्रीस्तुतिक जैन श्री संघ एवं राज अनंत चातुर्मास समिति के तत्वाधान में आयोजित व्याख्यान में बड़ी संख्या में श्रावक व श्राविकाए उपस्थिति रही।