- प्रवर्तक श्री ने जीवन को सार्थक करने हेतु प्रेरक उपदेश दिया
- 65 दर्शनार्थियों ने यात्रा में उत्साहपूर्वक शामिल होकर प्रवर्तकश्री के मुखारविंद से लिए विभिन्न प्रत्याख्यान
रतलाम। व्यक्तिगत या पारिवारिक दर्शन यात्रा तो हर कोई निकालता है। लेकिन जिसकी पुण्यवानी प्रबल होती हैं ऐसे सामाजिक या समूह रूप में अपने सौजन्य से निःस्वार्थ भाव से दर्शन यात्रा निकालने वाले विरले ही पुण्यवान व्यक्तित्व होते हैं। इसी के अंतर्गत उज्जैन शहर में विराजित आचार्यश्री उमेशमुनिजी के शिष्य एवं धर्मदास गणनायक प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी, श्री अतिशयमुनिजी, श्री गिरिशमुनिजी, श्री सुलभमुनिजी, श्री जिनांशमुनिजी, श्री अनीशमुनिजी, श्री संजीवमुनिजी, श्री श्रेयांशमुनिजी ठाणा 8 के दर्शनार्थ रतलाम से दर्शन यात्रा निकाली।
प्रवर्तकश्री के बाल सखा प्रस्फुटित हो गए
‘मित्रता दिवस’ के उपलक्ष्य में निकाली गई उक्त दर्शन यात्रा संघ के लाभार्थी प्रवर्तकश्री के सांसारिक बाल सखा, समाजसेवी, पारणा समिति एवं संयमी आत्माओं की वैयावच्च में सदैव अग्रणी रहने वाले प्रकाशचंद्र नांदेचा दर्शन यात्रा निकालकर बाल सखा का धर्म निभाकर अंतर्मन से प्रस्फुटित हो गए। यात्रा के लाभार्थी श्री नांदेचा ने प्रत्येक दर्शनार्थी को तिलक लगाकर मुख वस्त्रिका एवं सामायिक की घड़ी भेंट की।
यात्रा के लाभार्थी श्री नांदेचा का किया बहुमान
श्री धर्मदास जैन श्री संघ की ओर से अध्यक्ष रजनीकांत झामर, मार्गदर्शक ललित गांधी, पूर्व सचिव सोहनलाल रूनवाल, प्रवर्तकश्री के सांसारिक भाई राजेश गादिया, महामंत्री विनय लोढ़ा ने एवं पितलिया परिवार की ओर से शांताबाई व पुत्र अजय पितलिया ने दर्शन यात्रा के संघपति नांदेचा का शॉल माला से बहुमान किया। वहीं कांतिलाल लोढ़ा, मित्र मंडली ग्रुप के मोहनलाल रूनवाल, प्रकाश रांका, श्रेणिक कटरिया, रंगलाल चौरडिया, दर्शन यात्रा के लाभार्थी नांदेचा के साढ़ू भाई दिलीप मंडलेचा धार, दिलीप दरड़ा बखतगढ़ व भांजी जमाई पीयूष ज्योति चौरडिया परिवार उज्जैन ने संघपति का बहुमान कर दर्शन यात्रियों को तिलक लगाकर संघ पूजा की। इधर बदनावर में देवेंद्र अभिनंदन बोकड़िया परिवार ने दर्शन यात्रा के संघपति नांदेचा का शॉल माला से बहुमान कर सभी यात्रियों को भेंट दी। यात्रा के दौरान प्रकाश सुनीता मांडोत एवं इंदू बोथरा की चाय, दूध की सेवा सराहनीय रही। अभिनंदन अनुषा बोकडिया बदनावर व माला गांधी ने रस्तेभर में प्रभु भक्ति गीत एवं गुरु गुणगान की प्रस्तुति से यात्रियों को भक्ति में मंत्र मुग्ध कर दिया।
जयकारे के साथ हुई यात्रा प्रारंभ
आराध्य प्रभु श्रमण भगवान महावीर स्वामी, आचार्य उमेशमुनिजी, आचार्य नानेश – रामेश, प्रवर्तकश्री, पुण्यशीलाजी आदि जयकारे के साथ बस द्वारा रतलाम से यात्रा प्रारंभ हुई। यह यात्रा धार्मिक एवं उत्साहपूर्वक वातावरण में उज्जैन शहर पहुंची। वहां विराजित प्रवर्तकश्री एवं संत वृंद के दर्शन, वंदन, मांगलिक, व्याख्यान, ध्यान मांगलिक, ज्ञान चर्चा आदि का लाभ लिया। वहां तपस्वी आत्माओं के तप एवं विभिन्न आराधकों की अनुमोदना कर साधुवाद दिया। यहां प्रवर्तकश्री ने व्याख्यान के दौरान जिनवाणी के माध्यम से जीवन को सफल एवं सार्थक करने हेतु आत्मसात करने के कई प्रेरक उपदेश दिए। प्रवर्तकश्री के मुखारविंद से दर्शनार्थियों ने विभिन्न प्रत्याख्यान ग्रहण किए। उज्जैन श्रीसंघ ने यात्रा के लाभार्थी श्रीनांदेचा की खूब अनुमोदना की।
मित्रता निभाने का अदभूत उदाहरण दिया
धर्मसभा में रतलाम के धर्मदास जैन श्रीसंघ के मार्गदर्शक व पूर्व अध्यक्ष अरविंद मेहता व कस्तुरबा नगर मिल क्षेत्र स्थानक श्री धर्मदास जैन श्रीसंघ के अध्यक्ष राजीव चौरड़िया ने विचार व्यक्त कर दर्शन यात्रा के लाभार्थी की अनुमोदना करते हुए कहा कि पुण्यवानी होती तब कहीं जाकर दर्शन यात्रा निकालने का लाभ मिलता हैं। समाजसेवी प्रकाशचंद्र नांदेचा ने यह यात्रा निकालकर एक अनुपम पुण्य अर्जित करते हुए मित्रता निभाने का अदभूत उदाहरण प्रस्तुत किया है। इनकी जितनी भी अनुमोदना करे कम होगी।
पूर्व में भी दर्शन यात्रा निकाली
प्रवर्तकश्री के प्रति बाल सखा के रूप में अटूट श्रद्धा रखने वाले श्रीनांदेचा द्वारा इस तरह की यात्राएं पूर्व में भी दाहोद, मेघनगर, पेटलावद, खाचरौद, झाबुआ, सूरत आदि स्थानों पर प्रवर्तकश्री के चातुर्मास के दौरान मित्रता दिवस (फ्रेंडशिप डे) पर निकाली गई हैं। स्मरण रहे एक तरफ कोरोना काल के दौरान हर कोई भयभीत था। वहीं श्रीनांदेचा ने ऐसे भयावह कोरोना कॉल में भी लोगों की निः स्वार्थ भाव से निःसंकोच, निर्भीक होकर अविस्मरणीय, अतुलनीय, अनुकरणीय सेवा की।
बदनावर में भी दर्शन लाभ लिया
इधर बदनावर में विराजित प्रवर्तकश्री की सांसारिक बहन पुण्यपुंज साध्वी श्री पुण्यशीलाजी, सदगुणाजी, महकश्रीजी, प्रतिज्ञाजी, अनुज्ञाजी, प्रणिधिजी, भक्तिजी ठाणा 7 के दोपहर में दर्शन, मांगलिक एवं जिनवाणी आदि का लाभ लिया। यहां साध्वीश्री ने प्रेरणा स्वरूप जीवन में आचरणित करने योग्य अन्तर्हृदय को छूने वाले कई तत्व ज्ञान पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस अवसर पर धर्मदास जैन श्रीसंघ के सचिव राजीव चौरडिया ने विचार व्यक्त किए।
दर्शनार्थियों के प्रति की कृतज्ञता व्यक्त
यात्रा में शामिल दर्शनार्थियों के प्रति यात्रा के लाभार्थी प्रकाशचंद्र नांदेचा ने अन्तर्हृदय से कृतज्ञता व्यक्त करते हुए यात्रा का लाभ लेने के लिए सभी को धन्यवाद ज्ञापित कर आभार व्यक्त किया। दर्शन यात्रा में कन्हैयालाल कांसवा, कनकमल नलवाया, रतनलाल बाफना, शांतिलाल मूणत, भूपेंद्र बांठिया, प्रकाश छिपानी, मुकेश कांठेड़, गौतम पितलिया, निर्मल गोखरु, सुभाष नाहर, किरण मालू, रेणु घोड़ावत, आरती पटवा, संयम मालू, लक्ष्य व प्रकृति पटवा, स्तुति व मोक्षा घोड़ावत आदि सहित 65 श्रावक – श्राविका दर्शनार्थी शामिल हुए। इस मौके पर सभी दर्शनार्थियों ने यात्रा के लाभार्थी की जय जयकार के साथ बहुत बहुत अनुमोदना की।