मन चंचल तो परमात्मा कहां समाए – शासन दिपक हेमंतमुनि म.सा.

रतलाम । आचार्य श्री रामलाल जी मसा उपाध्याय प्रवर राजेशमुनि मसा की असीम अनुकंपा से चल रहे सुधर्मा सभा चातुर्मास मे शासन दिपक हेमंत मुनि जी मसा ने फरमाया कि पत्थर को लोहा तोड़ सकता है लोहे को आग पिघला सकती है आग को पानी ठंडा कर सकता है पानी का रुख हवा बदल सकती है और हवा की गति से भी ज्यादा तेज हमारा मन चंचल है इस चंचल मन को हमें एकाग्र बनाना होगा क्योंकि एकाग्रता से ही पवित्रता आती है अपवित्र मन से परमात्मा भी दूरी बना लेते हैं पाप और पुण्य का खेल भी मन और भाव से है व्यक्ति बाहरी आचरण पर पूरे जीवन जोर डालता रहता है पर उसकी मन की चंचलता कभी खत्म नहीं होती ज्ञान पाने के लिए भी भावो की शुद्धता व एकाग्रता जरूरी है बुद्धि को शांत रखते हुए विराम दीजिए चित को उठाने का प्रयास करें जैसे की मां का वात्सल्य पुत्र के प्रति होता है उसी प्रकार हमारा वात्सल्य भी परमात्मा के प्रति हो परंतु अगर मन की चंचलता चलती रहेगी तो हम सत मार्ग के साथ-साथ धर्म संसार कार्य क्षेत्र समाज परिवार के लिए कोई भी बेहतर निर्णय नहीं कर पाएंगे कोई क्या कर रहा है कोई कैसे कर रहा है कोई क्यों करना चाहता है इसको छोड़कर हम अपने अंदर स्थिरता लाते हुए यह विचार करें कि हम क्या कर रहे हैं हमे क्या करना हैं और हमें कहां जाना है चंचल मन का स्वभाव छोड़कर स्थिरता लाएं तो ही हम साधना को प्राप्त कर सकेंगे एकाग्र मन लाखों शीलाओं को भी तोड़कर परमात्मा को जीत सकता है इसी अवसर पर श्री लाघव मुनि जी ने वितरागता की ओर बढ़ रहे हैं यह कदम पर अपने भाव रखें श्री ब्रह्म ऋषि जी म सा ने समय को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि समय पर बात कहने पर उस बात का महत्व होता है अन्यथा वह बात निरर्थक हो जाती है महा सती श्री ने भी ईश्वर भक्ति का महत्व बताया उपरोक्त जानकारी देते हुए संघ के प्रीतेश गादिया ने बताया कि सभा में समता युवा संघ के अध्यक्ष अर्पित गांधी ने अपने भाव रखें श्रीमती मीना बहन पितलिया ने 26 उपवास के पचखान ग्रहण किये सभा का संचालन संघ मंत्री अशोक पिरोदिया ने किया उसके पश्चात संघ अध्यक्ष कांतिलाल छाजेड़ ने दोपहर में आयोजित हो रही प्रतियोगिता के लिए अधिक से अधिक बच्चे भाग लेने का आव्हान किया।