पर्युषण पर्व अन्तर्गत तेरापंथ सभा द्वारा अणुव्रत दिवस मनाया गया

रतलाम 05 सितम्बर । स्थानीय सेठजी का बाजार स्थित तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री पुण्यप्रभाजी के सानिध्य में आज अणुव्रत दिवस मनाया गया। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकार भगवान ऋषभ के जीवन पर प्रकाश डालते हुए साध्वी श्रीजी ने कहा कि भगवान ऋषभ का जन्म नई सृष्टि और नई संस्कृति का जन्म था। उन्होंने कर्म योगी बन कर्म युग का निर्माण किया । इसके बाद में उन्होंने धर्म, धारणा, आध्यात्म की धारा को प्रवाहित किया जो कि आज तक अविरल बह रही है।
उन्होंने अनुव्रत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आचार्य श्री तुलसी ने उस समय अणुव्रत का प्रवर्तन किया। जब देश सदियों की दांस्ता से मुक्त हो आजादी के गीत गुन गुना रहा था । सभी का ध्यान भौतिक निर्माण की विशाल योजना में लगा हुआ था । चरित्र उत्थान पर किसी का ध्यान केन्द्रित नहीं हुआ। आचार्य तुलसी का ध्यान इस ओर गया । फलत: एक नैतिक आंदोलन का निर्माण हुआ । इस आंदोलन ने देश के सभी वर्गो को जीवन मूल्यों से जोड़ा। साध्वी श्री जिनयशाजी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अणुव्रत किसी धर्म जाती या कौम से नहीं अपितु मानव की मानवता से वास्ता है । साध्वी श्री निर्मल प्रभाजी ने कविता के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति दी । पर्युषण महापर्व के अवसर पर तेरापंथ समाज के महिला-पुरूष, बच्चों ने बड़ी संख्या उपस्थित होकर धर्म लाभ लिया । पयुर्षण पर्व पर तेरापंथ भवन में विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जा रहे है जिसमें सभी वर्ग के पुरुष-महिलाएं एवं बच्चे हिस्सा ले रहे है ।