आवारा गाय नहीं इंसान है जो स्वार्थ नहीं निकलने के बाद आंख उठा कर नहीं देखता – राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । परमात्मा का प्रसाद आत्मा और शरीर की सुरक्षा के लिए रामबाण औषधि के समान होता है अभी प्रसाद के रूप में हर मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में मास्क सैनिटाइजर आने वाले हर भक्त को प्रसाद के रूप में देना चाहिए उक्त विचार राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने गोपाष्टमी पर धर्म सभा को संबोधित करते कहा कि पेड़ पौधे आदि पर्यावरण ही हमारे लिए सर्वोत्तम ओषधि है सो दवा एक हवा । उन्होंने कहा कि गोबर और गोमूत्र अनमोल औषधि का खजाना है उस पर रिसर्च की आवश्यकता है आने वाले समय में दूध से भी गोमूत्र और महंगा बिकेगा । राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने कहा कि गाय माता के लिए आवारा शब्द का प्रयोग करना परमात्मा का अपमान करने के समान है । आवारा तो इंसान है जो स्वार्थ निकलने पर आंख उठा कर नहीं देखता वह सबसे बड़ा कसाई है ।
राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि मंदिर में मार्बल गाय की तो आरती उतारते हैं और जीवंत गौ माता को कत्ल खाने में मौत के लिए छोड़ देते हैं इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है । जैन संत ने कहा कि हिंदू संस्कृति की मान्यता के अनुसार एक गाय में 33 करोड़ देवता है तो एक गाय की सेवा करना 33 करोड़ देवता की पूजा करने से भी बढ़कर है । कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया घनश्याममुनि अक्षत मुनि ने विचार व्यक्त किए ।