धर्म सिर्फ कर्मकांड ही नहीं, स्वर्ग- नर्क की चर्चा के लिए नहीं बल्कि ज्वलंत समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए उपयोग में आना चाहिए- राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । संत भी आध्यात्मिक सैनिक बनकर मानवता में कोरोना व्याप्त बीमारियां और आंतरिक बुराइयों का उन्मूलन करने के लिए कमर कसने वाले ही सृष्टि के सच्चे शृंगार है उक्त विचार राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश एवं रामस्नेही संप्रदाय के वरिष्ठ संत अमृत राम जी महाराज जैन दिवाकर चौथमल जी महाराज की जयंती के उपलक्ष में आयोजित शब्द जैसे कार्यक्रम के अंतर्गत संयुक्त चर्चा के दौरान व्यक्त करते कहा कि धर्म सिर्फ कर्मकांड ही नहीं स्वर्ग नर्क की चर्चा के लिए नहीं बल्कि ज्वलंत समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए उपयोग में आना चाहिए तभी वर्तमान की आने वाली युवा पीढ़ी में गुरु और धर्म श्रद्धा और आस्था के केंद्र बनेंगे।
मुनि कमलेश ने कहा कि किसी भी पंथ के संत हो जिनका लक्ष्य संपूर्ण मानवता ही नहीं प्राणी मात्र होता है वही विश्व पूज्य बनते हैं राष्ट्रसंत ने बताया कि कोई भी धर्म कट्टरता अपनाने की इजाजत नहीं देता है कट्टरता अपनाने वाले संत भी अलकायदा तालिबान से कम नहीं होते हैं। अमृता राम जी महाराज ने कहा कि परस्पर प्रेम और सद्भाव के रिश्ते ही मानवीय एकता को मजबूत करेंगे जहां सद्भाव नहीं वहां धर्म और परमात्मा का निवास नहीं । उन्होंने कहा कि जो संत जो संत पंथ वादी नहीं मानवतावादी होता है वही मानवता के लिए वरदान बनते हैं कोविड-19 को हराने के लिए सभी संतो को एक मंच पर आने का आह्वान किया ओए संयुक्त रूप से मोर्चा निकालने का निर्णय लिया अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली की ओर से अमृत राम जी महाराज का अभिनंदन किया गया घनश्याम मुनि कौशल मनी अक्षत मुनि अरिहंत मुनि ने भी चर्चा में भाग लिया