नई दिल्ली । केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि एवं किसान कल्याण और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश की 70 फीसदी आबादी के ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने के बावजूद पूर्ववर्ती सरकारों का ध्यान इस क्षेत्र पर अपेक्षाकृत कम रहा, इस कारण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक असंतुलन उत्पन्न हो गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में शुरू से ही कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पूरा ध्यान केंद्रित किया गया है। विगत साढ़े छह वर्षों में गांवों के विकास और वहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं।केंद्रीय मंत्री श्री तोमर गुरूवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था: आर्थिक पुनरुद्धार और सतत-समान विकास की कुंजी विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। श्री तोमर ने कहा कि ग्रामीण भारत जब तक विकसित नहीं होगा, तब तक विकसित राष्ट्र की कल्पना करना मुश्किल है। प्रधानमंत्री जी के न्यू इंडिया के विजन में कई आयाम हैं। इसमें राष्ट्र को समग्र रूप से आगे बढ़ाने पर बल दिया गया है और इसके केंद्र में ग्रामीण एवं कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को ही रखा गया है। श्री तोमर ने बताया कि 13वें वित्त आयोग में 5 वर्ष के लिए देश की पंचायतों को विकास के लिए 65 हजार करोड़ रूपए आवंटित किए गए थे, वहीं वर्ष 2015 में 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में पंचायतों को 2 लाख 292 करोड़ रू. देने की अनुंशसा की गई और विगत 5 वर्षों में हमारी सरकार ने इसमें से 96 प्रतिशत राशि पंचायतों को सीधे पहुंचाने का कार्य किया है। इस राशि से गांवों में मौलिक सुविधाओं में विस्तार हुआ है।श्री तोमर ने कहा कि 6 साल पहले ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के पास शौचालय, बिजली, रसोई गैस जैसी सुविधाओं का तो अभाव था ही, 3 करोड़ परिवार ऐसे थे जिनके पास अपना स्वयं का मकान भी नहीं था। आज घर-घर में सुविधाएं हैं, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से निर्मित घरों के साथ मूलभूत सुविधाएं प्रारंभ से ही उपलबध कराई जा रही है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से देश में अब तक 1 लाख 78 हजार बसाहटों को मुख्यधारा से जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री जी ने अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण को मंजूरी दी है, इसके तहत 1 लाख 25 हजार कि.मी. सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से 30 हजार किमी से ज्यादा लंबी सड़कें राज्यों को मंजूर की जा चुकी है।श्री तोमर ने बताया कि इस वर्ष ग्रामीण विकास मंत्रालय 2 लाख करोड़ रू. गांवों के विकास एवं ग्रामीणों के कल्याण पर खर्च करने जा रहा है। कोविड संकट को देखते हुए मनरेगा के बजट में 50 हजार करोड़ रू. की वृद्धि की गई है। मनरेगा में इस वर्ष अब तक 1 लाख 11 हजार 500 करोड़ रू. का प्रावधान किया जा चुका है, इसमें से 76 हजार करोड़ रू. राज्यों को जारी किए जा चुके हैं। श्री तोमर ने दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन व दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के कार्यों की भी जानकारी दी।केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि किसानों को कानूनी बंधनों से मुक्त करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए सरकार ने हाल ही में कानूनी संशोधन किए हैं। देश में 10 हजार नए कृषक उत्पादक संगठनों का गठन किया जा रहा है, ताकि छोटे व मझौले किसान भी उन्नत एवं क्लस्टर आधारित कृषि कर ज्यादा आय अर्जित कर सकें। एक लाख करोड़ रू. का कृषि अवसंरचना कोष सरकार ने स्थापित किया है, ताकि निजी निवेश कृषि अधोसंचना के क्षेत्र में गांवों तक पहुंचे और इस क्षेत्र में बने हुए असंतुलन को दूर किया जा सके।श्री तोमर ने कहा कि जब गांव में पैसा पहुंचता है, ग्रामीणों की आय में वृद्धि होती है और उनकी क्रय शक्ति बढ़ती है तो इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलना सुनिश्चित है। श्री तोमर ने सीआईआई के प्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे इस विषय पर विचार करें कि किस तरह से खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयों को ज्यादा से ज्यादा गांवों तक पहुंचाया जा सकता है । उन्होंने कहा कि देश में 7 करोड़ बहनें 63 लाख से अधिक स्वसहायता समूहों के माध्यम से आजीविका मिशन से जुड़कर उत्पाद बना रहीं हैं। उनके उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में भी प्रयास किया जाना चाहिए।बंधन बैंक के संस्थापक- सीआईआई की ग्रामीण अर्थव्यवस्था परिषद के अध्यक्ष सी.एस. घोष, केपीएमजी-इंडिया के प्रमुख श्री नीलांचल मिश्रा, श्री सुधीर देवरस ने भी विचार रखे।