कुमारी पूर्वी मेहता के संयम ग्रहण मुहूर्त का वधामणा उत्सव के अंतर्गत उनके निवास स्थान से भव्य वरघोड़ा निकला

रतलाम । पिछले 5-7 वर्षों में रतलाम में जैन समाज के विभिन्न संघों में दीक्षा लेने के लिए नई पीढ़ी आगे आ रही है। इसी क्रम में मोहन टॉकीज निवासी महावीर – मंजू मेहता की सुपुत्री कुमारी पूर्वी मेहता भी संयम पथ पर अग्रसर हो रही है। कुमारी पूर्वी मेहता के संयम ग्रहण मुहूर्त का वधामणा उत्सव के अंतर्गत उनके निवास स्थान मोहन टॉकीज से भव्य वरघोड़ा निकला। प्रातः 8:00 बजे से ही समाजजन, मित्र, रिश्तेदार बड़ी संख्या में निवास स्थान पहुंचना शुरू हो गए, जहां विधि-विधान के बाद कुमारी पूर्वी मेहता सुसज्जित हाथी पर विराजमान हुई। वहां से भव्य वरघोड़ा प्रारंभ हुआ। सबसे आगे अश्व पर धर्म पताका फहरा रही थी। पीछे ढोल पार्टी सुंदर तरीके से घंटनाद करते हुए चल रही थी। परिवारजन परम पूज्य आचार्य देव कीर्तियश सूरी जी म. सा. से प्राप्त आज्ञा पत्र लेकर चल रहे थे। वरघोड़ा मोहन टॉकीज, घास बाजार, चौमुखीपुल, मोतीपूज्य जी मंदिर होते हुए हनुमान रुंडी पहुंचा। उपरोक्त जानकारी देते हुए आराधना भवन श्री संघ सचिव हिम्मत गेलड़ा ने बताया कि रास्ते भर दीक्षार्थी अमर रहे, दीक्षार्थी की जय जयकार के नारे लगते रहे। हनुमान रुंडी पर आराधना भवन श्री संघ में चातुर्मास हेतु विराजित गणिवर्य कल्याण रत्न विजय जी म. सा. को गुरु वंदन किया गया एवं जैसे ही आज्ञा पत्र को पढ़कर सुनाया गया एवं दीक्षा का मुहूर्त 14 दिसंबर 2024 की घोषणा हुई, पूरे पंडाल में उपस्थित सैकड़ो की संख्या में श्रावक श्राविकाओं में हर्ष व्याप्त हो गया एवं दीक्षार्थी की जय जयकार होती रही।
इस अवसर पर परम पूज्य गणिवर्य कल्याणरत्न विजय जी म. सा. ने दीक्षा के महत्व को विस्तार से समझाया कि दीक्षा में दो शब्द है दी का मतलब है देना, एवं क्षा का मतलब है क्षय करना। अपने कर्मों का क्षय करके आत्मा का कल्याण करने के लिए ही दीक्षा का महत्व है। इस अवसर पर आराधना भवन ट्रस्ट बोर्ड श्री संघ द्वारा दीक्षार्थी कुमारी पूर्वी मेहता का बहुमान भी किया गया। महावीर – मंजू मेहता परिवार द्वारा इस शुभ प्रसंग पर पधारे हुए श्रावक श्राविकाओं को प्रभावना का वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन अमृत जैन द्वारा किया गया।

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