कर्मकांड का उपहास उड़ाना धर्म और परमात्मा का उपहास उड़ाने के समान है-राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर।  धार्मिक उपासना पद्धति के कर्मकांड को जो पाखंड मानता है वह उसकी घोर अज्ञानता है कर्मकांड का उपहास उड़ाना धर्म और परमात्मा का उपहास उड़ाने के समान है । उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने लोकाशाह जयंती पर महावीर भवन निमाज की हवेली मे संबोधित करते कहा कि उपासना पद्धति के माध्यम से आत्मा में संस्कारों का बीजारोपण होता है मुनि कमलेश ने कहा कि सु संस्कारों से ही चरित्र का निर्माण होता है विश्व की संपूर्ण संपत्ति दान देकर संस्कारों का निर्माण नहीं किया जा सकता है उन्होंने कहा कि उपासना पद्धति आत्म शुद्धि के लिए मंजिल में पहुंचे हेतु सीढ़ी का काम करती है जैन संत ने कहा कि विषय विकार को दूर करने के लिए उपासना रामबाण औषधि के समान है संस्कृति की रक्षा के लिए सुरक्षा कवच के समान है राष्ट्रसंत स्पष्ट कहा कि महापुरुषों जाने के बाद हजारों उसके बाद भी उनका साक्षात्कार साधना उपासना पद्धति के माध्यम से ही हमारे बीच पहुंच रही है आज हम जो कुछ भी है उसी की देन है अक्षत मुनि कौशल मुनि अरिहंत मुनि ने विचार व्यक्त किए घनश्याम मुनि ने मंगलाचरण किया।