दिल्ली (स्वराज जैन) । अपनी सरल और सहज मुस्कान से हर माहौल को खुशनुमा बनाने के प्रदीप जैन के अंदाज़ की अब स्मृतियां ही शेष रहेंगी। दिल्ली निवासी, मशहूर पत्रकार, साहित्यकार, गीतकार एवं फिल्मकार प्रदीप जैन ने 27 नवंबर 00:10 बजे इस संसार से अंतिम विदाई ली। उनकी मृत्यु पर हुई शोक सभाओं में और संदेशों द्वारा अनेक सामाजिक संस्थाओं ने और प्रितिष्ठित व्यक्तियों ने अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं। दिल्ली जैन समाज के की ओर से चक्रेश जैन ने कहा कि उनका अथाह बौद्धिक और सामाजिक योगदान रहा और उनके निधन से एक रिक्तता हो गई है। अखिल भारतवर्षीय बुंदेलखंड साहित्य एवं संस्कृति परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्मश्री कैलाश मढ़बैया ने उनके निधन को समाज की एक भारी क्षति कहा। पद्मश्री उमा तुली ने कहा कि वे हर किसी को ऊर्जा से भर देते थे। आचार्य ज्ञानसागर इंटरफैथ फाउंडेशन के संयोजक सीए आदीश कु जैन (पूर्व निदेशक कॉर्पोरेशन बैंक) और स्वराज जैन (टाइम्स) ने उनके धर्म और संस्कृति के प्रचार, प्रसार हेतु किए कार्यों का स्मरण करते हुए बताया कि प्रदीप जी के माता, पिता महात्मा गांधी के साथ जेल गए थे और स्वतंत्रता सेनानी थे, जाने माने विद्वान उनके पिता स्व. पं. परमेष्ठिदास जी से संस्कारों की पूंजी उन्हें मिली जिसे उन्होंने सारी जिंदगी निभाया। अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद के महामंत्री अनिल जैन, नेपाल और अध्यक्ष डॉ जीवनलाल जैन ने उनके सामाजिक और क्रांतिकारी विचारों का स्मरण किया। साहित्यकारों, कवियों और पत्रकारों पं. सुरेश नीरव,अशोक चक्रधर, बी एल गौड़, प्रवीण शुक्ल, राजेन्द्र जैन महावीर , सनावद, भूपेंद्र जैन, ललितपुर, अखिल बंसल, जयपुर, शैलेन्द्र जैन, अलीगढ़, प्रवीण जैन, झांसी, कमल जैन, झांसी, आदि ने भी अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की। बुंदेलखंड विकास परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विजय खैरा, पं. अवधेश चौबे, गहोई वैश्य समाज की ओर से योगेश गुप्ता, राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त ट्रस्ट की ओर से डॉ करुणेश गुप्त, अखिल भारतीय बसोर समाज की ओर से राजन धमेरिया ने अपनी शोक संवेदनाएं दीं। आचार्य ज्ञानसागर विज्ञान फ़ोरम के संयोजक डॉ चक्रेश जैन, जैन डॉ फ़ोरम और एनिमल वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन डॉ डी सी जैन, प्रख्यात विद्वान पं. जय कुमार जैन उपाध्याय, पं. सुदीप जैन, प्राकृत भाषा विद्वान डॉ अनेकांत जैन, बरगद एनजीओ के अध्यक्ष हरदयाल कुशवाहा, कायस्थ महासभा के महामंत्री विनय खरे तथा “उद्भव” संस्था के चेयरमैन डॉ.विवेक गौतम सहित सभी ने प्रदीप जी के हंसमुख, जिंदादिल, मिलनसार और वात्सल्य से भरे व्यक्तित्व को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। प्रदीप जैन ने सदैव अपने मित्रों को, सहयोगियों को अपने परिवार जैसा ही सम्मान और प्यार दिया, उनकी जिंदादिली, जीवंतता और खुशमिजाज व्यक्तित्व की अब स्मृतियां ही शेष हैं। वे कई फिल्मों के निर्माता होने के साथ साथ एक उच्च कोटि के कवि, साहित्यकार और पत्रकार भी थे और अपने जीवन में समर्पित भाव से वीर, जैन प्रचारक, वीरांगना के अलावा कई अन्य पत्रिकाओं और ऑनलाइन पत्रों का संपादन करते हुए अपना बौद्धिक योगदान भी देते रहे। उनके प्रति भावभीनी श्रद्धांजलि।