स्वास्थ्य का मंत्र है अन्न लो आधा, सब्जी-फल लो दुगुना, पानी पियो तिगुना और हंसी करो चौगुना – डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर

देश भर के हजारों साधकों ने ऑनलाइन किया संबोधि ध्यान एवं योग शिविर

इंदौर। इंदौर के एरोड्रम रोड स्थित महावीर बाग में देश भर के हजारों साधकों ने ऑनलाइन संबोधि ध्यान एवं योग शिविर किया। महोपाध्याय श्री ललितप्रभ जी एवं डॉ मुनि शांतिप्रिय जी के सान्निध्य में आयोजित पांच दिवसीय शिविर में फिजिकल, मेंटल एवं स्प्रीचुअल पावर को बूस्ट करने के लिए भाई-बहनों ने संबोधि पावर योगा के प्रयोग किए।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए डॉ मुनि शांतिप्रिय सागर ने कहा कि स्वास्थ्य का पहला चरण है प्रॉपर डाइट। अगर हम संयमित सात्विक शुद्ध और ताजा भोजन लेंगे तो कभी बीमार नहीं पड़ेंगे। 50ः बीमारियां भोजन की गड़बड़ी के कारण ही होती है। आगम और आयुर्वेद के अनुसार भोजन में तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए – हितकारी भोजन, सीमित भोजन और ऋतु के अनुसार भोजन हो। हमें नाश्ते में मौसम के भरपेट फल खाने चाहिए, दोपहर में सब्जी रोटी दाल चावल सलाद और छाछ लेना चाहिए और शाम को जूस सूप दलिया या खिचड़ी आदि हल्का-फुल्का भोजन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भोजन करने से पहले मुस्कुराएं, प्रभु का स्मरण करें, बड़े हुए नाखून काट लें और सब को भरपेट भोजन खाने को मिले ऐसी प्रार्थना करें। भोजन करते हुए भूख से थोड़ा कम खाएं, पौष्टिक भोजन लें, मिल बांट कर खाएं और उग्र प्रतिक्रिया न करें। भोजन की थाली में झूठा न छोड़ें। उतना ही लें थाली में कि व्यर्थ न जाए नाली में। भोजन के बाद खाली धोकर के रखें। 1 घंटे तक पानी ना पिए भोजन बनाने वाले को धन्यवाद दें और भोजन के परिणाम पर गौर करें। भोजन के कारण कब्ज एसिडिटी न हो और मोटापा न बढ़े इसका विशेष ध्यान रखें क्योंकि कब्ज और मोटापा सैकड़ों रोगों का कारण है।
उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए जीवन में नियम और संयम को अपनाएं। जो संयम से जीता है वह सदा आगे बढ़ता है क्योंकि हर बड़ी कंपनी के नाम के अंत में लिमिटेड लिखा होता है। उन्होंने कहा कि अगर हम अधिक भोजन, भारी भोजन, जंक फूड और फास्ट फूड का लगातार सेवन करेंगे तो हमारे आंतों की झिल्ली में छेद होने शुरू हो जाएंगे जिससे हमारा ब्लड जहरीला होगा और परिणाम हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने का सार मंत्र है अन्न को लो आधा, सब्जी और फल को लो दुगुना, पानी पियो तिगुना और हंसी को करो चैगुना।
उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन का मालिक बनने के लिए बैठकर भोजन पानी लें, खाना चबा चबा कर खाएं, बार-बार खाने की आदत बंद करें, बाजार की चीजों से परहेज रखें, फल और सब्जियां धोकर के काम लें, नशा और मांसाहार का त्याग करें, खाने पीने की चीजों को पॉलीथिन में न रखें, खाली पेट चाय न पिएं, ज्यादा ठंडा और ज्यादा गर्म पेय न लें, डेरी प्रोडक्ट मर्यादा में खाएं, रोज पांच तुलसी या नीम के पत्ते चबाएं, सोने से 4 घंटे पहले भोजन का त्याग करें।
उन्होंने कहा कि तीन सफेद जहर है मैंदा, नमक और शक्कर। इसकी बजाय मोटा आटा, सेंधा या काला नमक और गुड या देसी शक्कर का उपयोग करें। तीन लाल जहर है – चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक और तीन लिक्विड जहर है – रिफाइंड तेल, वनस्पति घी और शराब इनका त्याग कर शुद्ध देशी चीजों का सेवन करें।
उन्होंने कहा कि हमारे शरीर में 70 प्रतिशत भाग पानी होता है। अगर शरीर में पानी कम हो जाए तो खून गंदा हो जाता है जिससे किडनी में पथरी, जोड़ों में दर्द, हार्ट में ब्लॉकेज, बालों का गिरना और चेहरे पर दाग जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। इस तरह के रोगों का समाधान करने के लिए दवाई लेने की बजाय हमें पर्याप्त पानी पीना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुबह उठने के बाद खाली पेट दो-तीन गिलास गुनगुना पानी जरूर पिएं इससे पेट की सफाई अच्छे से होती है। खड़े-खड़े और जल्दी जल्दी पानी पीने की बजाय बैठकर और धीरे-धीरे पानी पिएं इससे हमारा पाचन तंत्र और रक्त स्वस्थ रहता है। उन्होंने कहा कि मल मूत्र और पसीने से शरीर से लगभग 2 लीटर पानी निकल जाता है अतः हमें दिन में 2 से 3 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। एक बार में एक या दो गिलास से ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए, पानी पीने के बाद दोबारा पानी पीने में 45 मिनट का अंतर रखना चाहिए, भोजन से आधा घंटा पहले और डेढ़ घंटा बाद ही पानी पीना चाहिए अन्यथा भोजन का पाचन बिगड़ जाता है। रात को ज्यादा पानी पीने से नुकसान होता है।
उन्होंने कहा कि सर्दी में तांबे के घड़े का और गर्मी में मिट्टी के घड़े का पानी पीना चाहिए। फ्रिज का पानी, बर्फ मिला हुआ ठंडा पानी जहर की तरह है जिससे पेट, हृदय और मस्तिष्क की क्षमता प्रभावित हो जाती है। कभी भी गर्म पेय प्लास्टिक या थर्माकोल में न पिएं। उन्होंने कहा कि गर्म पानी से नहाने की बजाए नॉर्मल या ठंडे पानी से नहाना चाहिए इससे चेहरे की चमक सदा बनी रहती है और हमें पानी बचाने के लिए सदा जागरूक रहना चाहिए। कभी भी व्यर्थ पानी न बहाएं क्योंकि जल है तो कल है।
उन्होंने कहा कि पूरा ब्रह्मांड ऊर्जा मय है और हमारा शरीर भी छोटा ब्रह्मांड है जो ऊर्जा से संचालित होता है। अगर शरीर से उर्जा निकल जाए तो शरीर शव बन जाता है। उन्होंने कहा कि अगर ऊर्जा नकारात्मक हो जाए तो इंसान पर रोग हावी हो जाते हैं, चिंता और तनाव बढ़ जाते हैं, घर परिवार और जीवन में अशांति फैल जाती है। अगर हम अपनी ऊर्जा को पॉजिटिव और पावरफुल बना लें तो कभी बीमार नहीं पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि ऊर्जा दो तरह की है सकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक ऊर्जा। जब नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है तो इंसान शैतान जैसा बन जाता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है तो इंसान भगवान जैसा बन जाता है। संबोधि पावर योगा का उद्देश्य है ऊर्जा को सकारात्मक शक्तिशाली और शुद्ध बनाना ताकि इंसान चलता फिरता देवता बन सके। जिसकी ऊर्जा नकारात्मक होती है वह अच्छा करने वालों के साथ भी बुरा करता है, पर जिनकी ऊर्जा सकारात्मक होती है वह बुरा करने वालों के साथ भी अच्छा व्यवहार किया करते हैं। जो अच्छे के साथ गलत करें वह शैतान है, जो अच्छे के साथ अच्छा और बुरे के साथ बुरा करे वह इंसान है, पर जो बुरा करने वाले का भी अच्छा करें वह भगवान है।
उन्होंने कहा कि नेगेटिव एनर्जी को पॉजिटिव एनर्जी में बदलने के लिए हम संकल्प लें कि मुझे अपनी ऊर्जा को सकारात्मक बनाना है और रोज सुबह उठकर ये पांच वाक्य जोर से अपने आप से बोलें – आई एम पॉजिटिव सोल, आई एम पावरफुल सोल, आई एम परफेक्ट सोल, आई एम पीसफुल सोल, आई एम प्योर सोल।
मुनिप्रवर ने ऑनलाइन देशभर से जुड़े हुए साधकों को क्लैपिंग थेरेपी, रबिंग थेरेपी, स्माइलिंग थेरेपी आदि 11 थेरेपी, सूर्य नमस्कार और संबोधि ध्यान के द्वारा सकारात्मक ऊर्जा जागरण के प्रयोग करवाएं।
आभार संघ अध्यक्ष धर्मेंद मेहता एवं संयोजक प्रकाश मालू ने दिया। संचालन में विभा सराफ एवं पुखराज जैन का अनुपम योगदान रहा। इस सम्पूर्ण कार्यक्रम को आप यूट्यूब पर शांतिप्रियसागर चैनल पर जाकर भी देख सकते हैं।