जोधपुर । जिसमें दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ अपूर्व जोश उत्साह का रोम रोम में ना होता हो वह स्वस्थ होकर के भी दिव्यांग है । उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने दिव्यांग दिवस पर महावीर भवन निमाज की हवेली मे संबोधित करते कहा कि तन की विकलांगता से मन की विकलांगता अनंत गुना ज्यादा खतरनाक है।
उन्होंने कहा कि दिव्यांगों ने अदम्य साहस के साथ विश्व कीर्तिमान स्थापित करते हुए हम जैसों को चुनौती दे दी है । मुनि कमलेश ने कहा कि जिसमें कुछ करने के अरमान की भावना ना हो वह तो जिंदे मुर्दे के समान है ।जैन संत ने स्पष्ट कहा कि तन के दिव्यांगों का तो इलाज है लेकिन मन के दिव्यांगों का इलाज भगवान के पास भी नहीं है ।राष्ट्रसंत ने केंद्र और राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि दिव्यांगों की समस्याओं को प्रमुखता से ले सरकारी नौकरी में आरक्षण से मुख्यधारा में लाकर समाज के सभी लोग भगवान कि प्रति प्यार करें यह सबसे पहले जरूरी है अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली में प्रतिभाशाली दिव्यांगों का सम्मान करने का प्रस्ताव पास किया कौशल मुनि घनश्याम मुनिजी म स ने विचार व्यक्त किए अक्षत मुनि जी ने मंगलाचरण किया समारोह की अध्यक्षता संघ मंत्री सुनील चोपड़ा ने की ।