पानी के बिना हरियाली और संतवाणी के बिना आत्मिक जागृति तीन काल में नहीं हो सकती है – राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । संत और पानी यदि निरंतर गतिमान रहता है तो मानवता और सृष्टि के लिए वरदान बनता है और ठहर जाता है तो विकृतियां पैदा करता है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने महावीर भवन निमाज की हवेली विदाई अभिनंदन समारोह को संबोधित करते कहा कि पानी एक जगह पड़ा रहे दुर्गंध मारता कीड़े पड़ते हैं और बहता रहे तो सिंचाई का काम करता है प्यास बुझाता है ।
उन्होंने कहा कि संत भी जिन-जिन क्षेत्रों में पहुंचेगा संस्कृति का संदेशवाहक बनकर आध्यात्मिक ज्ञान की ज्योति जला आएगा भटके हुए को राह दिखाएगा।
मुनि कमलेश ने कहा कि यदि संत एक स्थान पर रुक जाएगा वहां की आसक्ति में बंध कर लक्ष्य से भटक जाएगा राग द्वेष के दलदल में फंस जाएगा।
जैन संत ने कहा कि पानी के बिना हरियाली और संतवाणी के बिना आत्मिक जागृति तीन काल में नहीं हो सकती है मान-अपमान की परवाह न करते हुए अशांत क्षेत्र में जाकर सद्भाव का माहौल बनाते वही सच्चे संत हैं।
राष्ट्रसंत में स्पष्ट था कि डाकू जंगल में रहते थे उनके परिवर्तन के लिए संत जंगल में जाते थे इतिहास साक्षी है जिनको कानून नहीं पकड़ पाया राजा नहीं पकड़ पाया उन्होंने संतो के चरणों में समर्पण किया है श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच कृष्णा महिला मंडल गोसेवा महिला मंडल सभी ने कृतज्ञता व्यक्त की चातुर्मास में सेवा करने वालों का अभिनंदन किया गया अध्यक्ष सुकन राज धारीवाल मंत्री सुनील चोपड़ा उपाध्यक्ष गुणवंत राज मेहता शकुंतला नागोरी विशाल मेहता सुरेश पारक अशोक गोलेछा ने अभिनंदन किया तपाचार्य महासती जय माला महासती मनीषा जी निधि मंगलकामनाएं प्रेषित की विहार करके महा मंदिर पधारे।