प्रभु के विरह और इंतजार के समय में तड़पन होती है वह प्रभु मिलन से भी ज्यादा आत्म कल्याण में सहयोग की बनती है- राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । प्रभु भक्ति के बिरह की व्याकुलता व्यक्ति के भाव में प्रभु मिलन से भी ज्यादा भक्ति का संचार करता है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने वीतराग सिटी में धर्म सभा को संबोधित करते कहा कि प्रभु के विरह और इंतजार के समय जो तड़पन होती है वह प्रभु मिलन से भी ज्यादा आत्म कल्याण में सहयोग की बनती है। उन्होंने कहा कि प्रभु मिलने पर संतुष्ट हो जाती है लेकिन इंतजार की गलियों में ज्यादा निकटता का एहसास होता है । मुनि कमलेश ने कहा कि गुरु और प्रभु से बिरह क्षण जन्म जन्मांतर तक आत्म कल्याण के लिए निरंतर सहयोग ही बनते हैं।
राष्ट्रसंत कमलमुनि ने कहा कि प्रभु और गुरू के मिलने पर हंसी और खुशी के आंसू और विदाई में वीर आंसू जिनकी नजऱों से नहीं छलकते हैं उसकी नकारात्मकता से मुक्ति नहीं होती है । जैन संत बताया कि जिस महापुरुष नाम से आत्मा के भाव में निर्मलता और पवित्रता आती है उसी का नाम धर्म है और नफरत आती तो अधर्म है । राष्ट्र संत कमलमुनि एवं उनके शिष्य हठयोग धैर्य मुनि का आज विदाई समारोह हुआ । मुनि कमलेश जैसलमेर रोड और धैर्य मुनि जी ने पाली और की बिहार की रूपरेखा बनाई है । अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली ने दोनों संतों की बिहार यात्रा के लिए मंगल कामनाएं प्रेषित की 31 दिसंबर मुनि कमलेश नाकोडा पधारने की संभावना है।