गौ माता पर्यावरण आर्थिक और स्वास्थ्य के लिए रामबाण औषधि से बढ़कर है – राष्ट्रसंत कलमुनि कमलेश

जोधपुर । खूंखार जंगली जानवर के शिकार पर तो सरकार दंड देती है और पालतूपर खंजर चला कर मौत के घाट उतारने की इजाजत देती है यह कानून के साथ क्रूर मजाक है उक्त विचार राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने कन्हैया गौशाला में गाय कोरोनावायरस योद्धा के सम्मान समारोह को संबोधित करते कहा कि जंगली जानवर की रक्षा के लिए वन् या भरण्य सकती है तो फिर गो अभयारण्य क्यों नहीं ।
मुनि कमलेश ने कहा कि हीरे पन्ने माणक मोती से पशुधन अनमोल है जिसका कोई विकल्प नहीं है । राष्ट्रसंत ने बताया कि इंसान के बिना पशु जिंदा रह सकता है लेकिन पशुओं के बिना इंसान एक पल भी जिंदा नहीं रह सकता है पशुओं का कत्ल इंसान के कत्ल से बढ़कर है । जैन संत ने कहा कि पशुओं की रक्षा करना ही पर्यावरण की रक्षा करने के समान है इनका योगदान ऑक्सीजन से महत्वपूर्ण है । उन्होंने दुख के साथ कहा कि गाय को सांप्रदायिक के कहना दुर्भाग्यपूर्ण है गौमाता यह नहीं देखती कि उसका हिन्दू को जा रहा या मुसलमान को वह सृष्टि की अनमोल धरोहर है । महंत राम प्रसाद जी ने कहा कि गौ माता पर्यावरण आर्थिक और स्वास्थ्य के लिए रामबाण औषधि से बढ़कर है। राजकुमार सिंह जी भंडारी ने बताए कि यह स्वावलंबी गौशाला है रिसर्च किया जाए तो गाय बहुत कुछ दे सकती कोविड-19 में भी गाय योद्धाओं ने निर्भीक होकर सेवा आप सभी का अभिनंदन किया गया चंदनमल जी चोरडिय़ा सुनील चोपड़ा विशाल मेहता शकुंतला नागोरी आदि ने गौ सेवा की राजस्थान पत्रिका के 42 वें स्थापना दिवस पर 42 किलो लापसी गौ माता को खिलाई गई। गौशाला में तेरा सौ गाय है 8 बोरी मक्का रोज जब कबूतर सेवा की जाती है । घनश्याम मुनि, अरिहंत मुनि कौशल, मुनि धैर्य मुनि, प्रशांत मुनि ने गौ सेवा करने की प्रेरणा दी ।